याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्तागण मनोज भंडारी, रविन्द्र सिंह राठौड, निखिल डूंगावत तथा फिरोज खान आदि ने पैरवी करते हुए कहा कि जेएनवीयू ने छात्र संघ चुनाव के लिए जो दो वर्ष लगातार पढने वाले स्टूडेंट को चुनाव लडने की योग्यता प्रदान की है, अथवा एक साल के गैप वाले अभ्यर्थियों को अयोग्य करार दिया गया है, यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लिंगदोह समिति की सिफारिशों के विरुद्ध है तथा गैर कानूनी है। जबकि लिंगदोह समिति की सिफारिशों में नया एडमिशन लेने वाला छात्र भी चुनाव में मतदान करने व चुनाव लडऩे योग्य माना गया है। उन्होंने गत वर्ष चुनाव में विजयी रही उम्मीदवार कांता ग्वाला के मामले की नजीर पेश करते हुए कहा कि जेएनवीयू में एडमिशन से पूर्व वह जीत कॉलेज में अध्ययनरत रही। लेकिन फिर भी उनको चुनाव लडने की कोर्ट ने इजाजत दी।
सिर्फ चुनाव लडने के लिए एडमिशन लेते हैं
याचिकाकर्ताओं का विरोध करते हुए जेएनवीयू की ओर से पक्ष रखने वाले एएजी पीआर सिंह ने कहा कि विवि ने यह एक्ट इस लिए बनाया है कि छात्र सिर्फ चुनाव लडने के लिए ही एडमिशन नहीं लें। इस एक्ट के तहत किसी तरह के विवि के ड्यूज बकाया रहने सहित पढाई में गैप अथवा नए एडमिट छात्र को चुनाव लडने के अयोग्य माना गया है।