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छात्र नेताओं को हाईकोर्ट ने राहत देते हुए पढ़ाई में गैप के नाम पर नामांकन रद्द करने पर लगाई रोक

locationजोधपुरPublished: Sep 06, 2018 10:36:02 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

जेएनवीयू से याचिकाकर्ताओं के नामांकन खारिज नहीं किए जाने बाबत कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए हैं।

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जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार लक्ष्यद्वीप सिंह राठौड व हनुमान तरड की ओर से दायर याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने इन छात्र नेताओं के नामांकन इस आधार पर खारिज नहीं करने के अंतरिम आदेश दिए हैं कि याचिकाकर्ता नियमित छात्र नहीं है। न्यायधीश संगीत लोढा ने यह आदेश याचिकाकर्ताओं की ओर से जेएनवीयू के चुनावी एक्ट की धारा 11 ( 1 ) को चुनौती देने वाली याचिकाओं में दिए। न्यायाधीश लोढा ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए 7 सितम्बर तक जवाब तलब किया है। वहीं विवि की ओर से उपस्थित हुए एएजी पीआर सिंह से रजिस्ट्रार जेएनवीयू से याचिकाकर्ताओं के नामांकन खारिज नहीं किए जाने बाबत कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्तागण मनोज भंडारी, रविन्द्र सिंह राठौड, निखिल डूंगावत तथा फिरोज खान आदि ने पैरवी करते हुए कहा कि जेएनवीयू ने छात्र संघ चुनाव के लिए जो दो वर्ष लगातार पढने वाले स्टूडेंट को चुनाव लडने की योग्यता प्रदान की है, अथवा एक साल के गैप वाले अभ्यर्थियों को अयोग्य करार दिया गया है, यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लिंगदोह समिति की सिफारिशों के विरुद्ध है तथा गैर कानूनी है। जबकि लिंगदोह समिति की सिफारिशों में नया एडमिशन लेने वाला छात्र भी चुनाव में मतदान करने व चुनाव लडऩे योग्य माना गया है। उन्होंने गत वर्ष चुनाव में विजयी रही उम्मीदवार कांता ग्वाला के मामले की नजीर पेश करते हुए कहा कि जेएनवीयू में एडमिशन से पूर्व वह जीत कॉलेज में अध्ययनरत रही। लेकिन फिर भी उनको चुनाव लडने की कोर्ट ने इजाजत दी।
सिर्फ चुनाव लडने के लिए एडमिशन लेते हैं


याचिकाकर्ताओं का विरोध करते हुए जेएनवीयू की ओर से पक्ष रखने वाले एएजी पीआर सिंह ने कहा कि विवि ने यह एक्ट इस लिए बनाया है कि छात्र सिर्फ चुनाव लडने के लिए ही एडमिशन नहीं लें। इस एक्ट के तहत किसी तरह के विवि के ड्यूज बकाया रहने सहित पढाई में गैप अथवा नए एडमिट छात्र को चुनाव लडने के अयोग्य माना गया है।
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