फिर भी नहीं सुधार
जिले की 108 एंबुलेंसों में खराब पड़े एयर कंडीशनर और पोर्टेबल ऑक्सीजन सिस्टम को लेकर सीएमएचओ स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है। अभी तक सीएमएचओ डॉ. एसएस चौधरी ठेका कंपनी पर दबाव बनाकर इन एंबुलेंसों में न तो एयर कंडीशनर लगवा पाए हैं और न ही खाली पड़े पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर को भरवा पाए हैं।
यह है मामला जोधपुर. अगस्त 2016 में प्रदेश में इंटिग्रेटेड एंबुलेंस सर्विस की शुरुआत तो कर दी गई, लेकिन सीएमएचओ और बीसीएमओ स्तर पर हो रही अनदेखी मरीजों व घायलों पर भारी पड़ रही है। जिले में संचालित 108 एंबुलेंस में न तो पोर्टेबल ऑक्सीजन सिस्टम लगा हुआ है और न ही एयर कंडीशन काम कर रहे हैं। कई एंबुलेंसों में तो ऑक्सीजन सिलेंडर मात्रा से भी कम है। भीषण गर्मी में सबसे ज्यादा प्रभावित रैफर होने वाले मरीज या गर्भवती महिलाएं होती हैं, क्योंकि इन एंबुलेंस के अंदर का तापमान बाहर के तापमान से दो से तीन डिग्री ज्यादा होता है। इस लापरवाही पर भी चिकित्सा विभाग ठेका कंपनी जीवीके ईएमआरआई के भुगतान में पैनल्टी के रूप में एक दिन की ही कटौती करता है। इससे उलट अनुबंध के प्रावधानों में प्रतिदिन एक हजार रुपए के हिसाब से कटौती होनी चाहिए।
ऑक्सीजन को तरसती एम्बुलेंस
कई एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिस्टम नाकारा हैं। जिले की 38 एंबुलेंसों में से 15 में पोर्टेबल ऑक्सीजन सिस्टम ही नहीं है, जबकि 23 एंबुलेंस में पोर्टेबल ऑक्सीजन सिस्टम नाकारा होने के चलते काम में ही नहीं लिया जा रहा है।
एंबुलेंस के तापमान में दो से तीन डिग्री का फर्क पिछले लंबे समय से जिले की अधिकांश 108 एंबुलेंसों में एयर कंडीशन खराब पड़े हैं। हाल ही में सीएमएचओ की निरीक्षण रिपोर्ट में सामने आया है कि जिले की 38 में से 11 एंबुलेंसों के एयर कंडीशन बिल्कुल खराब पड़े हैं। शेष 27 एंबुलेंसों में मरीजों और घायलों के लिए एयर कंडीशन ईएमटी और पायलट चलाते ही नहीं है। मरीजों की सबसे ज्यादा खराब हालत दोपहर के समय में होती है। यहां तक कि गर्भवती महिलाओं का इसमें लंबी दूरी से ब्लड प्रेशर तक बढ़ जाता है।
लापरवाही की कीमत महज एक हजार रुपए
एंबुलेंस संचालन में किए गए अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार एंबुलेंस में किसी प्रकार का उपकरण काम नहीं करने पर प्रतिदिन के हिसाब से एक हजार रुपए की पैनल्टी वसूल करने का नियम है। हालांकि चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भुगतान के समय एक हजार रुपए की ही कटौती करते हैं।