
अमित दवे
प्रमुख मसाला फसल जीरा संवेदनशील फसल मानी जाती है। पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख फसल के लिए 20 फरवरी से 20 मार्च यानि यह एक माह निर्णायक होगा। जीरे की बिजाई प्रतिवर्ष अक्टूबर अंत से नवम्बर तक होती है। जीरे की फसल को पकने में लगभग 100 दिन लगते हैं। फसल के पकने में हवा-तापमान आदि का सकारात्मक रहना जरूरी है। इस बार, अगर धूल भरी आंधी नहीं चली और मौसम सही रहा तो जीरे की बम्पर पैदावार होगी और जीरा जीव का बैरी नहीं होगा।
देश में जीरा उत्पादन केवल राजस्थान व गुजरात में ही होता है। कुल उत्पादन में से करीब 65 प्रतिशत जीरा राजस्थान में होता है। जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, सांचोर, नागौर, जालोर, पाली जिले जीरे के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। जबकि शेष 35 प्रतिशत जीरा गुजरात में होता है। क्वालिटी और गुणवत्ता के हिसाब से राजस्थान का जीरा अच्छा माना जाता है। इस साल 11.20 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है। इससे करीब 90 लाख बोरी जीरा पैदावार की अनुमान है।
आने वाले दिनों में तापमान 28 डिग्री से ऊपर जाता है तो जीरे की फसल में दिक्कत आएगी। इस अवधि में दक्षिण पश्चिमी हवा व जिले में चलने वाली तेज धूलभरी आंधी फसल को प्रभावित करती है। वहीं, चरमा, छाछिया व मैला रोग भी फसल को नुकसान पहुुंचाते है। ऐसे में आगामी दिनों में बादल छाए रहे व तापमान बढता है तो जीरे की फसल को और नुकसान की आशंका है।
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जीरे की फसल संवेदनशील मानी जाती है। फसल की पकाई के समय मौसम प्रतिकूल होता है तो फसल बर्बाद हो जाती है, किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है। किसानों की व्यथा का जिक्र मारवाड़ के प्रसिद्ध लोकगीत में भी किया जाता है, मत बावो मारा परण्या जीरो, ओ जीरो जीव रो बैरी रे…..। इसलिए 20 फरवरी से 20 मार्च तक का समय जीरे के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
वर्ष- बिंजाई- उत्पादन बोरी में
2022-23- 780000- 65 लाख बोरी
2023-24 850000- 55 लाख बोरी
2024-25 1230000- 1.15 करोड़ बोरी
इस बार करीब 11.20 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है। अगर अगले एक महीना तक मौसम अच्छा रहता है तो जीरे की 90 लाख बोरी फसल आने की उम्मीद है।
- पुरुषोत्तम मूंदड़ा, अध्यक्ष, जोधपुर जीरा मंडी व्यापार संघ
पिछले तीन-चार दिन से मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। बादल छाए रहे या तापमान में बढ़ोतरी हुई तो जीरे की फसल को नुकसान हो सकता है। उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
इस समय फसल में छाछिया व मैला रोग के प्रकोप की संभावना रहती है। इसके बचाव के लिए रोगों का लक्षण दिखने पर कृषि विशेषज्ञ की सलाह से उपचार की जरूरत है।
मौसम ने साथ दिया तो फसल अच्छी होगी। इस साल डोमेस्टिक और एक्सपोर्ट डिमांड अच्छी रहने की भी उम्मीद है।
Published on:
21 Feb 2025 08:51 am
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