scriptकोरोनाकाल में भी ममता की सुरक्षित छांव में 71 नौनिहाल | In the coronal period also, Mamata's 71 is under safe guard | Patrika News

कोरोनाकाल में भी ममता की सुरक्षित छांव में 71 नौनिहाल

locationजोधपुरPublished: May 09, 2021 08:10:17 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

किसी मां गुजर गई तो किसी की बेटी की डिलीवरी हुई फिर भी अनूठी माताएं अनाथ बच्चों का जीवन बचाने में अस्पतालों जुटी

कोरोनाकाल में भी ममता की सुरक्षित छांव में 71 नौनिहाल

कोरोनाकाल में भी ममता की सुरक्षित छांव में 71 नौनिहाल

जोधपुर. चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित नवजीवन संस्थान की सेवाभावी मदर्स के त्याग और सेवाओं का ही नतीजा है कि कोरोनाकाल में भी अनाथ शिशु ममता की छांव में सुरक्षित है। कोविडकाल में पिछले 13 माह में कई मदर्स तो अपना घर बार छोड़कर 24 घंटे सेवाएं दे रही है। उम्मेद अस्पताल में बीमार अनाथ बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए संस्थान की मदर्स ने अपने खुद के बच्चों को पीहर तो कुछ मदर्स ने सास-ससुर और पति को बच्चों की जिम्मेदारी सौंप कर 24 घंटे देखरेख में जुटी है । खुद के घर की छोटी मोटी समस्याओं का निदान फोन पर कर देती है। गृहमाताओं को संस्थान अथवा अस्पताल में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर शोभा परिहार वीडियोकॉलिंग कर उन्हें मार्गदर्शन देती है। मदर्स के घर में यदि आवश्यक कार्य हो तो संस्था प्रभारी उनकी व्यवस्था करते है। संस्था प्रभारी राजेन्द्र परिहार ने बताया कि संस्थान में वर्तमान में कुल 71 शिशु है। कोविडकाल में अपनों को भूल कर 24 घंटे जुटी रहीसंस्थान की गृहमाता ललीता के माताजी का स्वर्गवास हो गया, उस समय उसके पास जो शिशु था व सीरियस था, इस कारण वे अपने माताजी के अंतिम दर्शन करने भी नहीं गई और शिशु की देखभाल में जुटी रही। संस्थान की एक और मदर राखी की पुत्री की डिलीवरी खुद उनके घर पर हुई, लेकिन वे लवकुश के शिशुओं की देखभाल में जुटी रही और सात दिन बाद अपने नातिन का मुंह देख सकी। अलका कंवर सहित कई गृहमाताएं कई बार अपनो को भूलकर पूरे मनोयोग से अज्ञात-अनाथ बच्चों के लिए ममत्व लुटा रही है। कोविड प्रोटोकाल की पूरी पालना मजबूर माताओं की ओर से पालने अथवा समाज के डर से झाडिय़ों-नालियों में फैंक दिए जाने वाले शिशु नवजीवन संस्थान में आते अथवा लाए जाते है । जिनमें अधिकांश अपरिपक्व, बीमार अथवा कम वजन के होते है। ऐसे बीमार शिशुओं को अस्पताल में भर्ती के बाद देखरेख जरूरी है। मार्च 2020 में जब कोरोना महामारी ने दस्तक दी तब से गृहमाताएं संस्थान व अस्पताल में निरंतर सेवाएं दे रही है। कोविड प्रोटोकाल के अनुसार स्वयं और शिशु दोनों का ख्याल रखती है।
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