राष्ट्रपति ने कहा कि यह केवल राजस्थान हाई कोर्ट के भव्य भवन का उद्घाटन भर नहीं है बल्कि यह न्याय के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का अवसर है न्याय के प्राणों की रक्षा में प्रतिष्ठा अब मैं राजस्थान हाई कोर्ट के जज और वकीलों को सोचता हूं।
अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति ने जोधपुर के द्वारा भारत की न्यायपालिका को दिए गए अमूल्य योगदान की भी बात की। उन्होंने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट से डॉक्टर नगेंद्र सिंह, लक्ष्मी मशीनरी, डॉक्टर दलवीर भंडारी, डॉक्टर राजेंद्र मल लोढ़ा जैसे न्यायधीश मिले हैं जो अपने आप में गौरव की बात है। राष्ट्रपति ने न्यायपालिका में नवीन तकनीक के उपयोग की भी वकालत की।
संविधान की प्रस्तावना में संविधान निर्माताओं द्वारा लिखे गए सबको समान न्याय का अवसर नहीं मिलने पर चिंतित नजर आए भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय इतना खर्चीला हो गया है कि जन सामान्य की पहुंच से बाहर हो गया है विशेषकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्याय मांगना बहुत खर्चीला है।
उन्होंने राजतंत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले राज महल में न्याय के लिए घंटे बने होते थे जिन्हें बजाकर कोई भी आम आदमी राजा से न्याय की मांग कर सकता था लेकिन आज ऐसा नहीं है।
गांधीजी भी न्याय के बढ़ते खर्च पर चिंतित रहे थे। राष्ट्रपति ने सभी न्यायाधीशों और वकीलों से कहा कि यह प्रश्न हम सबके सामने हैं क्या हम आम जनता को सस्ता और सुलभ न्याय दे पाए हैं।
रामनाथ कोविंद ने अपना भाषण हिंदी में दिया उन्होंने कहा कि आज मैं हिंदी इसलिए बोल रहा हूं ताकि मेरे द्वारा न्याय के लिए कहे गए शब्द आम आदमी तक पहुंचे। सस्ता न्याय दिलाने के लिए उन्होंने बिफोर बार के सदस्यों से सहयोग मांगा।