बारिश से नष्ट हुई फसल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में पपीता की आवक तीन गुना कम हो गई है। फल विक्रेताओं के अनुसार जहां 2-3 माह पूर्व पपीता की प्रतिदिन आवक करीब 60 टन हुआ करता था, वहीं अब पपीता एक दिन छोडकऱ आ रहा है। वर्तमान में पपीता करीब 20 टन आ रहा है।
पाचन के लिए जिस फल का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है वह पपीता है। डेंगू बीमारी जो कि एक प्रकोप के रूप में मारवाड़ में फैल रही है, उसमें भी इस फल का बहुतायत में उपयोग किया जाता है। लेकिन पिछले करीब एक माह से इस फल के दाम आसमान छू रहे हैं। डेंगू बीमारी के रोगियों को पपीता, पपीता के पत्तों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
बारिश से पपीता उत्पादन क्षेत्रों मे फसल खराब हो गई है। आवक कम होने से पपीता के भाव तेजी पर है। दीपावली के बाद नई आवक से भावों में कमी आने की उम्मीद है।
मो. इकबाल, फल विक्रेता