
जोधपुर। भारतीय सेना ( Indian army ) ने राजस्थान के जोधपुर जिले में एक ऐसा नया प्रोजेक्ट शुरू किया है जो आगे चलकर देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा। सेना ने ग्रीन एनर्जी ( Green Energy ) का महत्व समझते हुए देश के सबसे बड़े आर्मी सोलर प्रोजेक्ट ( Army Solar Project ) जोधपुर में शुरू किया है। यह सैन्य क्षेत्र में अब तक सबसे बड़ा 6 मेगावाट क्षमता का प्लांट है। जोधपुर में कोणार्क कोर में किए गए इस नवाचार से करीब 80 लाख का बिजली बिल बचेगा।
राजस्थान पत्रिका के ‘सौर ऊर्जा से दमके मरुधरा’ समाचार अभियान के बाद पिछले कुछ माह में इस दिशा में कई सकारात्मक पहल देखने को मिली है। एक ओर जहां राज्य सरकार ने हर घर की छत पर सोलर पैनल ( Solar Project in Rajasthan ) का सपना दिखाया है तो दूसरी ओर कई सरकारी विभागों ने भी अपने स्तर पर सौर ऊर्जा से बिजली बनाने की ओर कदम बढ़ाया है। अब सेना का इस दिशा में यह अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट इस जागृति अभियान में मील का पत्थर साबित होगा। इस सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन आर्मी कमांडर (दक्षिण कमान) ले. जनरल एसके सैनी ने किया।
जानिए इस प्लांट की खासियत ( Solar Power Project )
- 30 हजार केवीएच प्रतिदिन विद्युत उत्पादन हो सकेगा।
- 80 लाख रुपए प्रति माह बिजली बिल में कटौती होगी।
- 19,500 सोलर पैनल लगाए गए हैं, सभी स्वदेशी।
- यह अब तक का सैन्य क्षेत्र का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट है, डेढ़ वर्ष में इस प्लांट को पूरा किया।
अन्य भी पहल करें
सरकारी विभाग जो लम्बे समय से बिजली का भारी बिल भर रहे हैं उनके लिए यह पहल उदाहरण है। जिस प्रकार सेना 80 लाख का बिल कम कर रही है, अन्य सरकारी विभाग भी पहल करें तो राज्य सौर ऊर्जा में अव्वल तो आएगा ही, अपना बिजली खर्च भी बचा पाएंगे।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने ‘सूरज चमका सकता है मरुधरा का भाग्य’ शीर्षक से जैकेट पेज प्रकाशित कर इस मुहिम की शुरुआत की थी। इसके बाद पूरे प्रदेश में सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित कर सौर ऊर्जा को लेकर सरकार और आमजन का ध्यान आकर्षित किया गया। वहीं केन्द्र सरकार ने भी छोटे सोलर प्लांट पर 40 फीसदी सब्सिडी ( solar plant in rajasthan subsidy ) देने संबंधी ड्राफ्ट तैयार किया है। साथ ही कई सरकारी कार्यालयों ने भी सोलर रूफ टॉप पैनल लगाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। सौर ऊर्जा के साथ ही पवन ऊर्जा नीति भी लाई जाएगी।
अभी यह है सौर ऊर्जा उत्पादन
सौर ऊर्जा ( solar energy policy ) की पुरानी नीति से अब तक प्रदेश में 4 हजार 310 मेगावाट एवं पवन ऊर्जा नीति से 3 हजार 424 मेगावाट बिजली बन रही है। लेकिन वर्ष 2021-22 में प्रदेश में बिजली का उत्पादन मांग से कम हो जाएगा। ऐसे में उस संकट से निपटने के लिए ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Updated on:
19 Jul 2019 06:05 pm
Published on:
19 Jul 2019 06:03 pm
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