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एक दूल्हा, एक बाराती, पंडित सहित तीन घराती और हो गई शादी, दुल्हन की विदाई कोरोना के कहर खत्म होने के बाद

locationजोधपुरPublished: Mar 30, 2020 12:23:41 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

वैश्विक महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के बीच शनिवार को जोधपुर के इसाइयों के कब्रिस्तान के पास बस्ती में हुए विवाह में दुल्हा-दुल्हन ने अग्नि के समक्ष फेरे लेकर सात जन्मों का साथ निभाने की रस्में पूरी की। इस अनूठे विवाह में दुल्हे सहित कुल दो बाराती और पंडित के अलावा वधु के घर वाले ही मौजूद रहे।

indian wedding during lockdown on coronavirus outbreak in india

एक दूल्हा, एक बाराती, पंडित सहित तीन घराती और हो गई शादी, दुल्हन की विदाई कोरोना के कहर खत्म होने के बाद

नंदकिशोर सारस्वत/जोधपुर. वैश्विक महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के बीच शनिवार को जोधपुर के इसाइयों के कब्रिस्तान के पास बस्ती में हुए विवाह में दुल्हा-दुल्हन ने अग्नि के समक्ष फेरे लेकर सात जन्मों का साथ निभाने की रस्में पूरी की। इस अनूठे विवाह में दुल्हे सहित कुल दो बाराती और पंडित के अलावा वधु के घर वाले ही मौजूद रहे। इस विवाह समारोह में ना तो कोई बैंडबाजा था ना ही किसी के चेहरे पर कोई उल्लास अथवा खुशी। परिवार के चार चुनिंदा सदस्य भी चेहरे पर मास्क लगा होने के कारण फोटो भी नहीं खिंचवा पाए। वैसे विवाह जीवन में अविस्मरणीय माना जाता है, लेकिन यह अनूठा विवाह परिवार के सभी सदस्यों को भी आजीवन याद रहेगा।
लग्न का समय पहले से ही तय होने की मजबूरी
इसाइयों के कब्रिस्तान क्षेत्र निवासी लिखमाराम भादू ने अपनी तीन बेटियों सहित एक बेटे की शादी 29 मार्च को तय कर दी थी। साथ ही पारिवारिक मित्रों व रिश्तेदारों को बुलाने के लिए ग्यारह सौ शादी के कार्ड तक छपवा दिए थे। होली के अगले दिन ही शुभ मुहूर्त में शादी के लिए वर पक्ष को सावा ‘लग्न Ó भेज दिया गया। पूरा परिवार शादी की तैयारियों में हंसी खुशी जुट गया। विभिन्न तरह व्यंजनों के लिए कंदोई, टेंट, डीजे, ढोल ढमाकों की सारी तैयारी कर ली गई। लेकिन कोरोना महामारी के कहर के चलते 25 मार्च से देशव्यापी लॉक डाउन के बाद परिवार सहम सा गया।
परिवार उलझन में था कि क्या करें क्या न करें। बेटियो और बेटे के ससुराल वालों से बातचीत कर इस मुश्किल की घड़ी को टालने की भरपूर कोशिश की गई। लेकिन सबसे छोटी बेटी के घर पर सारे वैवाहिक रीति-रिवाज सम्पूर्ण होने के बाद विवाह को रोकना संभव नहीं हो पा रहा था। लिखमाराम पुत्री संतोष के ससुराल वाले कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड निवासी सियाराम के पुत्र जियाराम की पाट बिठाई व घृतपान की सभी रस्में पूरी की जा चुकी थी।
मारवाड़ की परम्पराओं में लग्न का समय नियत हो जाने के बाद तय समय पर पाणिग्रहण का नहीं होना दोनों ही परिवारों के लिए अपशकुन माना जाता है। इसी कारण विवाह की तारीख को आगे बढ़ाना संभव नहीं था। इसलिए दोनों परिवार की रजामंदी से यह तय हुआ की शादी में दूल्हा और एक बाराती और वह भी पूरी तरह सेनिटाइज, मास्क आदि पूरी सुरक्षा के साथ आएंगे।
दूल्हे जियाराम के साथ बहनोई अशोक कांवा तय मुहूर्त में रात करीब रात्रि 1 बजे कार में बारात लेकर आए। दूल्हे, दुल्हन, पंडित के अलावा पाणिग्रहण संस्कार के समय मौजूद दो लोगों ने अपने चेहरे पर मास्क पहन रखा था। पाणिग्रहण की रस्में पूरी कर दूल्हे को बिना दुल्हन के वापस भेज दिया गया और तय हुआ कि जब कोरोना के कहर से देश की परिस्थितियां सामान्य हो जाएगी तब धूमधाम से बिटिया को विदा किया जाएगा।
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