
युद्धाभ्यास : आसमान में 10 हजार फीट पर गरजे भारत-फ्रांस के फाइटर
जोधपुर. जोधपुर एयरबेस पर भारत (india)और फ्रांस (france) की वायुसेना (airforce) के संयुक्त युद्धाभ्यास गरुड-7 (garud)चल रहा है। पांचवें दिन दोनों देशों के फाइटर आसमान में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर गरजे। भारतीय वायुसेना के तेजस और रफाल जैसे फाइटर ने फ्रांस के विमानों के साथ उड़ान भरी। दोनों देशों के वायुसैनिकों ने एक दूसरे से युद्ध कौशल साझा किया। 12 नवम्बर तक चलने वाले युद्धाभ्यास में रेगिस्तानी इलाकों में भी फाइटर की गूंज सुनाई देगी।
भारत-फ्रांस युद्धाभ्यास : पश्चिमी सीमा का सजग प्रहरी है जोधपुर
सामरिक दृष्टि से जोधपुर एयरबेस (jodhpur airforce station) देश के चुनिंदा महत्वपूर्ण एयरबेस में से एक है। यह पश्चिमी सरहद की सुरक्षा में सजग भूमिका निभा रहा है। पंजाब से लेकर राजस्थान और गुजरात सरहद में दुश्मन की हर नापाक हरकत को पलक झपकते ही नेस्तनाबूद कर सकता है। यही कारण माना जा सकता है कि फ्रांस जैसे देश के साथ रणनीतिक कौशल साझा करने के लिए जोधपुर एयरबेस को चुना गया है। यहां भारत-फ्रांस (indo-france)की वायुसेना के बीच 12 नवम्बर तक युद्धाभ्यास किया जा रहा है।
कई युद्धाभ्यासों का भी गवाह रहा
जोधपुर एयरबेस गरुड़-7 का ही साक्षी नहीं है, अपितु इसकी कई अन्य विशेषताएं भी है। स्वदेशी तकनीक से विकसित हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर प्रचंड की पहली स्कवाड्रन 3 सितंबर को ही जोधपुर में तैनात की गई। यह पहला ऐसा हेलिकॉप्टर है जो देश के किसी भी हिस्से में युद्ध या सैन्य ऑपरेशन में काम में लिया जा सकता है। सन 2014 में भारत और फ्रांस वायु सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास गरुड़ -5 भी यहीं हुआ था। तब फ्रांस के चार राफेल लड़ाकू विमान पेरिस से सीधे जोधपुर वायु सेना स्टेशन पहुंचे थे। सैन्य, वायुसेना व सामरिक दृष्टि से यह एक खास और अहम लम्हा था। इस दौरान दोनों देशों के तत्कालीन वायुसेनाध्यक्ष भी जोधपुर आए। जोधपुर एयरबेस पर हुए उस युद्धाभ्यास में फ्रांस के तत्कालीन रक्षा अटैची ग्रुप कैप्टन बेनेडिक्ट स्मिथ, फ्रांस के तत्कालीन राजदूत फ्रेंकोइस शरीक हुए थे। उस युद्धाभ्यास में ही फ्रांसीसी वायुसेना के राफेल विमान की जोधपुर एयरबेस पर ट्रायल हुई थी।
आसमान में दिखाए थे हैरतअंगेज करतब
आठ साल पूर्व युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों की वायुसेना ने कई हैरतअंगेज करतब दिखाए थे। आकाश में उड़ते हुए राफेल विमानों ने ईंधन भरा था और अपने-अपने कृत्रिम हवाई ठिकानों की रक्षा करने का तरीका सीखा था। यहां तत्कालीन वायुसेनाध्यक्ष ने खुद राफेल विमान उड़ा कर इसकी क्षमता और भारत के लिए अनुकूलता का परीक्षण किया था।
राहा व मर्सियर ने की थी पहली ट्रायल
जोधपुर में हुए युद्धाभ्यास गरुड-5 में दोनों देशों के वायुसेनाध्यक्ष भी मौजूद थे। इसी दौरान भारतीय वायुसेना के तत्कालीन मुखिया एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने 9 जून 2014 को पहली बार राफेल में उड़ान भरी थी। इसे ऱाफेल की शुरुआती ट्रायल भी माना गया। युद्धाभ्यास के दौरान फ्रांस के तत्कालीन एयर चीफ डेनिस मर्सियर ने सुखोई विमान में उड़ान भरी थी।
Published on:
01 Nov 2022 08:34 pm
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