मुख्य न्यायाधीश एस. रविंद्र भट्ट (Chief Justice S. Ravindra Bhatt) और न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने अपीलार्थी वीरेन्द्र कुमार सहित अन्य की ओर से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ दायर अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अन्य कई दिशा-निर्देश दिए हैं।
दरअसल, राज्य सरकार ने वर्ष 2012 में सफाईकर्मी भर्ती शुरू की थी, लेकिन कई बिंदुओं पर याचिकाएं दायर होने से भर्ती प्रक्रिया उलझ कर रह गई। हाईकोर्ट को कम से कम पांच बार भर्ती प्रक्रिया को लेकर दायर याचिकाओं पर दखल देना पड़ा। इस बीच, सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए भर्ती प्रक्रिया में लॉटरी का प्रावधान जोड़ दिया।
नतीजतन, भर्ती प्रक्रिया अधूरी रह गई। पिछले साल सरकार ने पूर्व की रिक्तियों सहित स्वीकृत पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की, जिसमें वर्ष 2012 में प्रक्रिया में शामिल हो चुके अभ्यर्थियों को भाग लेने की छूट देते हुए उम्र में शिथिलता प्रदान की गई।
नई प्रक्रिया को लेकर भी कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई, जिन्हें एकलपीठ ने एक आदेश से निस्तारित कर दिया। इस आदेश के खिलाफ दायर अपीलों पर निर्णय देते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को बचे हुए पदों के लिए नए सिरे से चयन सूची तैयार करने के निर्देश देते हुए आरक्षित श्रेणी के उन अभ्यर्थियों के नाम हटाने को कहा है, जिन्होंने उम्र में शिथिलता का लाभ भी लिया और उन्हें एक बार आरक्षित श्रेणी से लॉटरी में भाग लेने का अवसर भी दिया गया।
पात्र अभ्यर्थियों की लॉटरी के आधार पर नई चयन सूची बनाने को कहा गया है। इस सूची में आरक्षित श्रेणी में लॉटरी प्रक्रिया में भाग लेने व उम्र की शिथिलता का लाभ लेने वाले ऐसे अभ्यर्थियों का नाम नहीं होगा, जिन्हें दूसरी बार सामान्य श्रेणी की लॉटरी में भाग लेने की अनुमति दी गई थी।
खंडपीठ ने नियमों का पालन करते हुए अपात्र, गलत सूचना देने तथा मिथ्या उद्घोषणा करने वाले अभ्यर्थियों के नाम सूची से हटाने को कहा है। ऐसे जिन अभ्यर्थियों के नाम पहले हटाए जा चुके हैं और यदि उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर कर दी है, उन मामलों में कोर्ट के निर्णय के अनुरूप कार्यवाही करने को कहा गया है।