
जोधपुर। भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ की संख्या में बढ़ोतरी के साथ राजस्थान में भी बाघों की गूंज बढ़ी है। अवैध शिकार के कारण व अन्य कारणों से 1973 में बाघों की संख्या सिर्फ 268 रह गई थी। सरकार की तमाम कोशिशों व बाघ संरक्षण अभियान से देश में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है और 2022 तक यह संख्या 3167 हो गई। राजस्थान में बाघों के शिकार में भी कमी हुई है। इससे राज्य में भी बाघों की कुल संख्या करीब 150 हो गई है। शिकार पर रोक के बाद बाघों के यह आंकड़े संतोषजनक है। शहर में बाघों की स्थिति वर्तमान में शहर के माचिया सफारी पार्क में 2 बाघ हैं। इनमें एक एंथनी बाघ और एक अम्बिका बाघिन है इनकी उम्र करीब 6 वर्ष है। यह दोनों बाघ कानपुर चिड़ियाघर से यहां लाए गए। राज्य में 4 बाघ अभ्यारण्य है। अभ्यारण्य व अन्य जैविक उद्यान के बाघों की संख्या मिलाकर करीब 150 बाघ बाघिन है।
राजस्थान के 4 बाघ अभयारण्यों पर नजर
रणथंभौर टाइगर रिजर्व - 80
सरिस्का टाइगर रिजर्व - 27
मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व - करीब 4
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व - 3
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वर्ष कुल बाघ
2006 - 1411
2010 - 1706
2014 - 2226
2018 - 2967
2022 - 3167
देश में बाघों की स्थिति
वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत के समय देश में मात्र 9 बाघ अभयारण्य थे, वर्तमान में देश में कुल टाइगर रिजर्व की संख्या बढक़र 54 हो गई है। साथ ही भारत में बीते कुछ वर्षों में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
जोधपुर का वातावरण बाघों के लिए गर्म है, लेकिन पार्क में बाघों के लिए पूल की व पानी की उचित व्यवस्था होने से उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होती। बाघों की संख्या बढ़ाने व इन्हें बचाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. श्रवणसिंह राठौड़, वन्यजीव चिकित्सक/पशु चिकित्सा अधिकारी
Published on:
29 Jul 2023 10:01 am
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