scriptजोधपुर के गणपति को 300 विवाह कार्यक्रम में आने का निमंत्रण | Invitation to 300 Ganpati of Jodhpur to attend the wedding ceremony | Patrika News

जोधपुर के गणपति को 300 विवाह कार्यक्रम में आने का निमंत्रण

locationजोधपुरPublished: Jun 27, 2020 09:45:47 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

देवशयन से पहले अंतिम अबूझ सावा 29 को

जोधपुर के गणपति को 300 विवाह कार्यक्रम में आने का निमंत्रण

जोधपुर के गणपति को 300 विवाह कार्यक्रम में आने का निमंत्रण

जोधपुर. भड़ली नवमी (सुनम) को नौ रेखी सावा होने के कारण जोधपुर सहित समूचे मारवाड़ में वैवाहिक आयोजनों की धूम रहेगी। अक्षय तृतीया के समतुल्य अबूझ मुहूर्त के रूप में मान्यता प्राप्त भड़ली नवमी सोमवार को है और इस दिन मारवाड़ में आखातीज को स्थगित बड़ी संख्या में विवाह होने की उम्मीद जताई जा रही है। अनलॉक 1 की नई गाइडलाइन में मिली पाबंदियों के साथ छूट के बाद भड़ली नवमी होने वाले सावों से व्यापार जगत के लोगों को कुछ राहत मिलने की आशा है।
मंदिर कपाट बंद होने पर भी देने पहुंच रहे न्यौता
कोरोनाकाल में रातानाडा स्थित प्रथम पूज्य गजानंदजी मंदिर के प्रवेश द्वार बंद होने और बेरिकेडिंग लगाने के बावजूद लोग आस्था के कारण विवाह का प्रथम निमंत्रण देने पहुंच रहे है। स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त भड़ली नवमी को होने वाले वैवाहिक आयोजनों के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार ही निमंत्रण पत्रों का अंबार लगने लगा है। शनिवार तक गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि सहित विवाह में पधारने के लिए करीब 300 से अधिक निमंत्रण पत्रों का न्यौता मिला है जिनमें भड़ली नवमी के निमंत्रण सर्वाधिक है। रातानाडा गणेश मंदिर पुजारी कृष्ण मुरारी शर्मा व प्रदीप शर्मा ने बताया कि किसी भी मांगलिक कार्य करने से पूर्व आमंत्रित किए जाने वाले रातानाडा गणेशजी का मंदिर शहरवासियों का प्रमुख आस्था स्थल है। कोरोनाकाल में मंदिर प्रवेश द्वार पहले ही भक्तों के लिए बंद है उसके बावजूद लोग प्रवेश द्वार पर ही निमंत्रण रखने और लोगों की संख्या बढऩे पर हमने प्रवेश द्वार पर भी बेरिकेडिंग लगा दिया है। उल्लेखनीय है शहरवासी घर में प्रत्येक मांगलिक कार्य का प्रथम निमंत्रण प्रथम पूज्य रातानाडा गणेशजी को देने जरूर पहुंचते है। आस्था के कारण ही मिट्टी के मांडणेयुक्त एक पात्र में भगवान गणेशजी की प्रतीकात्मक मूर्ति को स्थापित कर घर ले जाते है और मांगलिक कार्य पूर्ण होने के बाद पुन: आभार सहित मंदिर पहुंचाते है।

अब चूके तो फिर 25 नवम्बर तक करना होगा इंतजार
इस बार 1 जुलाई को देवशयन के बाद शुरू होने जा रहा चातुर्मास देवउठनी प्रबोधिनी एकादशी 24 नवंबर तक रहेगा । मान्यता यह है कि इस दौरान भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं इसलिए देव जागने तक किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। यह मुहूर्त चूकने के बाद सगाई हो चुके कुंआरों को 25 नवम्बर का इंतजार करना पड़ेगा।
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