आइपीएस अधिकारी व डीसीपी (मुख्यालय व यातायात) कालूराम रावत रविवार सुबह 8.45 बजे रातानाडा में सरकारी बंगले से बगैर किसी को अवगत कराए साइकिल लेकर निकले। वो सीधे पुलिस लाइन पहुंचे और आवासीय क्षेत्र का जायजा लिया। फिर वो एडमिन ब्लॉक और एमटी शाखा पहुंचे, जहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें पहचान लिया। इसलिए अधिक देर रूकने की बजाय डीसीपी रावत साइकिल पर लाइन से बाहर आए और पावटा चौराहा पॉइंट पर जायजा लेकर खेतसिंह बंगला तिराहा पहुंचे। वहां एक कांस्टेबल दुपहिया वाहनों की जांच करते मिला। डीसीपी कुछ देर अनजान बनकर उसकी कार्यशैली देखते रहे।
फिर डीसीपी ने कांस्टेबल से पूछा कि उसकी क्या ड्यूटी है? वाहनों की क्या-क्या जांच होती है? दुपहिया वाहन पर कितने व्यक्ति सवार हो सकते हैं और क्यों? कांस्टेबल के जवाब से डीसीपी संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने खुद का परिचय दिए बगैर उसे समुचित जानकारी दी। इतने में वहां तैनात हेड कांस्टेबल ने पहचान लिया तो डीसीपी वहां से आगे निकल गए।
डीसीपी का कहना है कि वो दो बार पहले भी साइकिल पर राउण्ड के लिए निकले थे। कुछ कमियां मिलीं जिन्हें दूर किया गया। दूसरे जिलों की तुलना में जोधपुर में कुछ पुलिसकर्मियों का आमजन के प्रति बर्ताव सही न होने की शिकायत मिलती है।
हेलमेट पहना होने पर भी चालान बनाने की शिकायत
डीसीपी रावत साइकिल पर यातायात पुलिस कन्ट्रोल रूम आए। निर्धारित समय पर ड्यूटी के लिए आए जवानों के बारे में जानकारी ली। वे चालान प्रशमन शाखा पहुंचे, जहां तीन युवक मिले। जो चालान कम्पाउण्ड कराने आए थे। डीसीपी ने बातचीत की तो दो युवकों ने बताया कि हेलमेट पहना होने के बावजूद पुलिस ने चालान बनाया। दवाई दुकान के सामने बाइक रोककर हेलमेट उतारते ही पुलिस आई और चालान बना दिया था। आरोप की पुष्टि के लिए डीसीपी ने जांच की तो दोनों के पास बाइक पर हेलमेट भी मिले। डीसीपी ने नाराजगी जताई और चालान बनाने वाले के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
मोबाइल में लाइसेंस दिखाने पर कांस्टेबल नहीं माना
कन्ट्रोल रूम से डीसीपी रावत नई सड़क, सोजती गेट होकर रेलवे स्टेशन के सामने पॉइंट पहुंचे, लेकिन वहां डीसीपी के साइकिल लेकर राउण्ड पर होने का पता लगने से यातायात पुलिस सतर्क मिली। वे जालोरी गेट सर्किल से शनिश्चरजी का स्थान आए, जहां ट्रैफिक पुलिस की गाड़ी खड़ी थी। एक कांस्टेबल बाइक सवार को रोके हुए था। चालक मोबाइल से कांस्टेबल को खुद के लाइसेंस की फोटो दिखा रहा था, लेकिन सिपाही न मानने पर अड़ा था।
हेड कांस्टेबल व जांच अधिकारी दूर खड़े थे। कुछ देर बहस होने पर डीसीपी बीच में पहुंचे और खुद का परिचय देकर कांस्टेबल को अवगत कराया कि मोबाइल में दस्तावेज दिखाना मान्य है और चालक लाइसेंस मंगवा भी सकता है। कांस्टेबल हड़बड़ा गया तो डीसीपी साइकिल लेकर 5वीं रोड सर्किल से जलजोग, रोटरी चौराहा होकर अपने बंगले लौट आए।