दूसरी तरफ, कांग्रेस पूरे निकाय चुनाव में कहीं भी आक्रामक नजर नहीं आई। टिकट वितरण को लेकर ऐसा बवाल मचा कि पार्टी ने सम्भवतः पहली बार अपने प्रत्याशी ही घोषित नहीं किए और जिन्हें प्रत्याशी बनाना था, उनके सिम्बल सीधे निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में ही जमा करवाए गए। इसके बाद प्रभारी मंत्री महेंद्र चौधरी समेत बड़े नेताओं की गैर मौजूदगी चुनाव प्रचार को भी धार नहीं दे सकी। आखिरी दिनों में वैभव गहलोत जोधपुर आए और प्रचार अभियान की कमान सम्भाली। वैभव हालांकि चुनाव से पहले से ही जोधपुर की कांग्रेस राजनीति में सक्रिय होकर स्थापित होने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन पहली बार उन्हें निगम चुनाव में स्वतंत्र रूप से एक्सपोज होने का मौका मिला है। मुख्यमंत्री गहलोत के इन चुनाव में कहीं नजर नहीं आने से भी उन्हें खुद को साबित करने का अवसर मिला है। यदि निगम चुनाव में कांग्रेस को आशातीत सफलता मिल जाती है तो वैभव का सियासी कद निश्चित रूप से बढ़ जाएगा।
फिलवक्त, सभी की नजरें चुनाव नतीजों के साथ साथ भाजपा की राजनीति में शेखावत व कांग्रेस की राजनीति में वैभव के सियासी कद पर पड़ने वाले असर पर भी टिकी हैं।