पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने चयनित शिक्षकों को पक्षकार बनाने के निर्देश देते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन को सभी चयनित शिक्षकों को नोटिस तामील करवाने की जिम्मेदारी दी थी। मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट तथा न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की खंडपीठ में अधिकांश प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ताओं ने याचिका की प्रतिलिपि देने की मांग की और जवाब के लिए समया मांगा। दरअसल, पूर्व में हाईकोर्ट ने याचिका को दो तकनीकी खामियों के आधार पर 19 अगस्त, 2015 को खारिज कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल, 2018 को मामला पुन: हाईकोर्ट को रिमांड करते हुए निर्देश दिए थे कि यदि खामियां दूर की जाती है तो मामले की मैरिट पर सुनवाई की जाए। हाईकोर्ट ने याचिका को पुन: सूचीबद्ध किया था।
गौरतलब है कि जेएनवीयू ने शिक्षक भर्ती 2013 के तहत 154 शिक्षकों का चयन किया था। इसमें 111 असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल है। याचिका में कहा गया है कि कई अभ्यर्थियों के निर्धारित तिथि तक योग्य नहीं होने के बावजूद उनका चयन कर लिया गया। मुख्य रूप से याचिका में जेएनवीयू द्वारा भर्ती की पात्रताएं तय करने के लिए जुलाई 2011 में जारी किए गए ऑर्डिनेंस 317 पर सवाल उठाए गए हैं। इस ऑर्डिनेंस में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती पात्रताएं तय की गई है, जो यूजीसी के मापदंडों के विपरीत बताई गई है।