विवि ने 2012-13 में 154 शिक्षकों की भर्ती की थी। इसमें 111 असिस्टेंट प्रोफेसर थे। दस्तावेजों में भारी गड़बडिय़ां सामने आने के बाद विवि ने फरवरी 2017 में 34 असिस्टेंट प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस देकर योग्यता साबित करने के लिए कहा। इन सभी शिक्षकों ने कोर्ट में रीट लगाई, जिसे कोर्ट ने प्री मैच्योर रीट माना। कोर्ट ने कहा कि विवि का कोई भी निष्कासन आदेश जारी होने की तिथि से 40 दिन तक इन शिक्षकों पर लागू नहीं होगा।
इसी दरम्यान विवि ने सिण्डीकेट की बैठक कर 34 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। विवि ने हाईकोर्ट में केविएट भी दायर कर दी। उधर बर्खास्त शिक्षक विवि के इस निर्णय के विरुद्ध फिर से हाईकोर्ट पहुंचे। इसी के साथ विवि को कोर्ट में जवाब पेश करना था लेकिन विवि ने जवाब पेश करने के लिए समय मांग लिया। जवाब पेश करने तक इन 34 शिक्षकों को पद से नहीं हटाने की अण्डरटेकिंग दे दी जो हर पेशी में आगे बढ़ती रही। विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ. आरपी सिंह और कार्यवाहक रजिस्ट्रार प्रो. प्रदीप कुमार शर्मा ने अण्डरटेकिंग का यह निर्णय बगैर सिण्डीकेट की अनुमति के लिया। ध्यान रहे कि सिण्डीकेट विवि की सर्वोच्च नियामक संस्था है।
गौरतलब है कि किसी भी मामले में कोर्ट में केविएट तब दायर की जाती है जब कोर्ट के किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले स्वयं का पक्ष रखना हो। विवि ने भी केविएट इसलिए दायर की थी कि क्यों कि उसके पास विवि के शिक्षकों को निष्कासित करने के पूरे सबूत थे। बावजूद इसके विवि की ओर से कोर्ट में जानबूझकर ढीली पैरवी की गई और 34 शिक्षकों को बचाए रखा। हालांकि अब 24 जुलाई को इस मामले में अंतिम सुनवाई है, लेकिन विवि के इस निर्णय से उसे करोड़ों रुपए की वित्तीय हानि हुई है।
इन 34 शिक्षकों को किया बर्खास्त
विवि ने हितेंद्र गोयल, हेमसिंह गहलोत, राखी व्यास, ऋचा बोहरा, वीनू जॉर्ज, विभा भूत, विवेक, ललित सिंह झाला, प्रतिभा सांखला, महेंद्र पुरोहित, उम्मेदराज तातेड़, आशा राठी, आशीष माथुर, रमेश चौहान, मनीष वढेरा, रचना दिनेश, कामना शर्मा, संगीत परिहार, ओमप्रकाश, सीमा परवीन, अमिता धारीवाल, वीरेंद्र परिहार, शिवकुमार बरवड़, लेखु गहलोत, पूनम पूनियां, कामिनी ओझा, नगेंद्र सिंह भाटी, शरद शेखावत, राजेंद्र सिंह खीची, ऋषभ गहलोत, जया भण्डारी, रजनीकांत त्रिवेदी, हेमलता जोशी और सुरेंद्र को बर्खास्त किया।
जवाब पेश करने को समय चाहिए था
कोर्ट में एक साथ 34 शिक्षकों के विरुद्ध जवाब पेश करने में समय लग रहा था इसलिए हमने अण्डरटेकिंग दी थी। वकीलों की हड़ताल से भी मामला प्रभावित रहा।
प्रो. प्रदीप कुमार शर्मा (बी), कार्यवाहक रजिस्ट्रार, जेएनवीयू जोधपुर दोषियों को नहीं बख्शेंगे
राज्य सरकार इस मामले में शीघ्र ही निर्णय चाहती है। हमने हाईकोर्ट में चल रहे सभी मामलों के कागज मंगवाए हैं। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। दोषियों को अब बख्शा नहीं जाएगा।
सुबोध अग्रवाल, प्रमुख शासन सचिव, उच्च शिक्षा विभाग जयपुर