जयनारायण व्यास विवि छात्र संघ चुनाव संविधान के अनुसार प्रत्याशियों का परिणाम आने के बाद 2 सप्ताह के भीतर चुनावी खर्च का ऑडिटेड ब्यौरा बिल सहित विश्वविद्यालय प्रशासन को जमा करवाना होता है। निर्धारित समय सीमा के दौरान लगभग सभी प्रत्याशियों ने अपना खर्च विवि को नहीं बताया हैं, वैसे यह परंपरा हर साल से चली आ रही है। लेकिन इस बार छात्रसंघ अध्यक्ष पद का विवाद गहराने और एबीवीपी के प्रत्याशी मूल सिंह की ओर से मामला उठाने के बाद इसमें पेचीदगी आ गई है।
गौरतलब है कि छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील चौधरी ने अपने खर्च के संबंध में जानकारी विवि को 1 अक्टूबर को ईमेल द्वारा उपलब्ध करवाई जब भी निर्धारित समय सीमा 25 सितंबर थी। ऐसे में अध्यक्ष पद के अन्य प्रत्याशी रहे मूल सिंह ने विवि प्रशासन को सुनील के नामांकन को लेकर आपत्ति दायर की है। विवि के नियमानुसार छात्र संघ चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों के चुनाव परिणाम के 2 सप्ताह के भीतर अपने खर्च का विवरण जमा नहीं करवाने पर विवि उनके पद को शून्य घोषित कर सकता है।
अब तक कब क्या हुआ 29 अगस्त : चुनाव की अधिसूचना जारी।
1 सितंबर : मतदाता सूचियों का प्रकाशन।
5 सितंबर : नामांकन भरने का दिन।
6 सितंबर : नामांकन वापस लिए। (प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी)
9 सितंबर : दोपहर 1 बजे चुनाव प्रचार समाप्त।
10 सितंबर : मतदान।
11 सितंबर : मतगणना (पुनर्मतगणना के बाद 9 वोट से जीते सुनील चौधरी)।
14 सितंबर : मूल सिंह ने मतगणना में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए विशाल रैली निकाली और ग्रीवेंस कमेटी को अपनी आपत्ति दी।
17 सितंबर : शेरगढ़ विधायक बाबू सिंह राठौड़ ने कुलपति के समक्ष 2 घंटे तक छात्र संघ चुनाव पर चर्चा की।
22 सितंबर : छात्र संघ चुनाव की ग्रीवेंस रिड्रेसल सेल ने मूल सिंह व सुनील की आपत्तियों को सुना।
27 सितंबर : सेल ने अपना फैसला सुनाया, मूल सिंह का नामांकन खारिज करने की सिफ ारिश।
3 अक्टूबर : राजपूत समाज ने मूल सिंह के समर्थन में निकाली विशाल रैली। कहा-सुनील चौधरी ने चुनाव खर्च बताने में की देरी, नामांकन रद्द करने की मांग की।