मंडोर पहाड़ी पर स्थित मंदिर परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जोधपुर संभाग के अंतर्गत आता है। इसके चलते अदालत ने मंडल को निर्देश दिया कि यदि उसे पुजारी को मूर्ति सौंपने में कोई आपत्ति है तो वह 18 मार्च को उसके समक्ष पेश हो, लेकिन दो दिन तक मंडल की ओर से कोई आपत्ति पेश नहीं की गई। इसके बाद गुरुवार को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट संख्या पांच के न्यायिक अधिकारी ने मूर्ति पुजारी को सौंपने का आदेश पारित कर दिया।
17 फरवरी की सुबह जब पुजारी मंदिर गये तो मूर्ति वहां नहीं थी। पुलिस ने टीमें गठित कर जांच शुरू की। मंदिर के आसपास कोई सीसीटीवी नहीं था। लेकिन पूरे इलाके में मूर्ति चोरी की घटना के बाद पुलिस ने इलाके के 400 सीसीटीवी कैमरे खंगाले। उनसे मिले सुरागों के आधार पर जांच की गई। जिसके आधार पर राजसमंद जिले के लोगों की पहचान की गई। पूछताछ में पता चला कि महेंद्र सिंह, शोभाग सिंह, दिनेश सिंह और भेरूसिंह व अन्य ने गुप्त नवरात्रि के दौरान अपने गांव में स्थापित करने के लिए यहां से मूर्ति चुराई थी। जिसे पुलिस बरामद कर वापस ले आई।