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जेडीए के शानदार पहल, फ्लाईओवर प्रोजेक्ट के लिए नहीं काटे पेड़, 100 से अधिक पेड़ों को किया री-ट्रांसप्लांट

Jodhpur Development Authority Great initiative : जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने एक शानदार पहल की है। जोधपुर विकास प्राधिकरण ने 100 से अधिक पेड़ों की जान बचाई। पेड़ों को 26 लाख रुपए खर्च कर री-ट्रांसप्लांट किया। जिसने भी इस शानदार पहल के बारे में जाना, जेडीए की तारीफ किए बिना न रह सका।

Jodhpur Development Authority Great initiative trees were not cut for flyover project more than 100 trees were re-transplanted
जोधपुर विकास प्राधिकरण की साइट से लिया गया है फोटो

Jodhpur Development Authority Great initiative : आमतौर पर विकास के नाम पर प्रकृति की बलि ले ली जाती है। पर जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने एक शानदार पहल की है। नहर चौराहे पर बनने वाले फ्लाईओवर के बीच में आने वाले 100 से अधिक पेड़ों को जेडीए ने नहीं काटा। इसकी जगह जोधपुर विकास प्राधिकरण इन पेड़ों को 26 लाख रुपए खर्च कर री-ट्रांसप्लांट किया। यह जानकर आश्चर्य होगा कि पेड़ों को काटने की अनुमति दिए जाने के बावजूद जेडीए ने पर्यावरण संरक्षण का रास्ता चुना है। जेडीए के इस कदम की हर तरफ प्रशंसा हो रही है।

फ्लाईओवर प्रोजेक्ट में बन रहे थे बाधा

इन 100 से अधिक पेड़ों में मुख्य रूप से नीम, पीपल, शीशम और करंज शामिल हैं। ये पेड़ वर्तमान में चल रहे फ्लाईओवर प्रोजेक्ट में बाधा बन रहे थे। हालांकि, जेडीए के वरिष्ठ अफसरों ने उन्हें नष्ट करने के बजाय उन्हें वैकल्पिक स्थानों पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था।

पेड़ों को काटने की बजाय जेडीए ने री-ट्रांसप्लांट की बनाई योजना

नहर चौराहे पर बनने वाले फ्लाईओवर का कार्य शुरू हो चुका है। निर्माण से पूर्व इस सड़क पर लगे हुए पेड़ों का सर्वे किया गया था। सर्वे में 110 पेड़ लगे पाए। नगर निगम की ओर से इन पेड़ों को काटने की अनुमति भी जारी हो चुकी है, पर जोधपुर विकास प्राधिकरण ने इन पेड़ों को काटने की बजाय इन्हें री-ट्रांसप्लांट की योजना बनाई है। जेडीए की ओर से इस कार्य के लिए निविदा निकाली गई थी। टेंडर खुलने के बाद पेड़ों को शिफ्ट किया गया।

लेकिन यह प्रयास सराहनीय है - कार्यकारी अभियंता प्रदीप हुड्डा

कार्यकारी अभियंता प्रदीप हुड्डा ने बताया कि पाल रोड पर स्थित अशोक उद्यान के आसपास के क्षेत्रों में अब तक 70 पेड़ प्रत्यारोपित किए जा चुके हैं, और शेष 30 जुलाई तक प्रत्यारोपित कर दिए जाएंगे। प्रदीप हुड्डा ने बताया कि, यह 80 करोड़ रुपए की परियोजना का हिस्सा नहीं था। "हालांकि, वरिष्ठ अफसरों के निर्देशों के बाद, हमने एक अलग निविदा जारी की, विशेषज्ञों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया, और स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू की। इसमें अधिक समय और पैसा लगता है, लेकिन यह प्रयास सराहनीय है।

भविष्य की परियोजनाओं के लिए बना बेंचमार्क

जेडीए आयुक्त उत्साह चौधरी ने कहा कि यह पहली बार है जब जेडीए ने परियोजना में इस तरह की पहल की है। जब हमें लगा कि 100 से ज़्यादा पेड़ प्रभावित होंगे, तो हमने एक बेहतर समाधान खोजने का फ़ैसला किया। उन्होंने आगे कहा विशेषज्ञों की सलाह के बाद, हमने उन्हें प्रत्यारोपित करने का फैसला किया। यह भविष्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए एक बेंचमार्क बनना चाहिए।

पेड़ों के स्थानांतरण में वैज्ञानिक पद्धति जरूरी - पर्यावरण सलाहकार

माँ अमृता देवी बीज बैंक और अनुसंधान संस्थान से जुड़े पर्यावरण सलाहकार राम निवास बुधनगर ने पेड़ों के स्थानांतरण में वैज्ञानिक पद्धति के महत्व बताया। उन्होंने कहा ऐसे प्रयासों की सफलता सही एसओपी का पालन करने पर निर्भर करती है। प्रत्यारोपण के बाद पेड़ की पुनर्जीवित होने की क्षमता को संरक्षित करने के लिए एक स्वस्थ जड़ बनाना आवश्यक है।

हमारा एक अनुभव खराब रहा

उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल का पालन न करने की वजह से अतीत में खराब रिजल्ट सामने आए थे, उन्होंने खेजड़ी के पेड़ों का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) के नए परिसर में इसी तरह के स्थानांतरण प्रयास किया गया था पर वह जीवित नहीं रह पाए थे। उन पेड़ों को एक जल निकासी चैनल के निर्माण की वजह से हटाना पड़ा था।