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राजस्थान के इस किले का आठवां द्वार आज भी है रहस्यमय! जानिए आखिर क्या है कारण

राजस्थान के इस किले का आठवां द्वार आज भी है रहस्यमय! जानिए आखिर क्या है कारण

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जोधपुर

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Rajesh

May 12, 2018

jodhpur fort

जोधपुर
पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा शहर जोधपुर इस किले पर अभिमान करता है और हो भी क्यों ना... इस किले ने पूरे विश्व में अपनी शान का परचम लहराया है। रजवाड़ों की शानो-शौकत और गौरवशाली इतिहास को समेटे ये किला जोधपुरवासियों को गर्व की अनुभूति कराता है। 125 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित ये किला कुतुबमीनार से भी ऊंचा है। जिसकी ऊंचाई 73 मीटर है। किले के चारों तरफ 12 से 17 फुट चौड़ी और 20 से 150 फुट ऊंची दीवार है।

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इस किले के मुख्य चार द्वार हैं। वैसे किले के सात द्वार (पोल) हैं, जबकि आठवां अभी तक द्वार गुप्त है। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजा और जालीदार खिड़कियां हैं। इसकी चौड़ाई 750 फुट और लम्बाई 1500 फुट रखी गई है। चार सौ फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित ये विशाल दुर्ग बरसात के बाद आकाश साफ होने पर 100 किलोमीटर दूर स्थित जालोर दुर्ग से भी देखा जा सकता है। कुण्डली के अनुसार इसका नाम चिंतामणी है लेकिन ये मिहिरगढ़ के नाम से जाना जाता था। मिहिर का अर्थ सूर्य होता है। मिहिरगढ़ बाद में मेहरानगढ़ हुआ।


इसकी आकृति मयूर पंख के समान है इसलिए इसे मयूरध्वज दुर्ग भी कहते हैं। लोहापोल, जयपोल और फतहपोल के अलावा गोपाल पोल, भैंरू पोल, अमृत पोल, ध्रुवपोल, सूरजपोल आदि छह द्वार किले तक पहुंचने के लिए बनवाए गए हैं। इन्हें इस तरह संकड़ा व घुमावदार बनाया गया है जिससे दुश्मन आसानी से किले में प्रवेश ना कर सकें और उस पर छल से गर्म तेल, तीर व गोलियां चलाई जा सकें। किले के महलों के प्लास्टर में कौड़ी का पाउडर डाला गया है, जो सदियां बीत जाने पर भी चमकदार दिखाई देता है। सफेद चिकनी दीवारों, छतों व आंगनों के कारण सभी प्रासाद गर्मियों में ठंडे रहते हैं।