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जोधपुर में दंगों में नुकसान झेलने के बाद भी शिकायत दर्ज नहीं करवा रहे पीडि़त, कहीं ये कारण तो नहीं

रूपावतों का बास में व्याख्याता के मकान के दरवाजे, खिड़कियां व कांच फोड़ डाले गए।

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जोधपुर .

सूरसागर के व्यापारियों का मोहल्ला में मारपीट के बाद उपजे बवाल में कपड़े सिलाई की एक दुकान, घर के बाहर खड़ी कार और सात-आठ मोटरसाइकिलों को फूंक दिया गया। रूपावतों का बास में व्याख्याता के मकान के दरवाजे, खिड़कियां व कांच फोड़ डाले गए। इस दौरान लाखों रुपए का नुकसान तो हुआ ही, लोग भी भयभीत रहे। इन सबके बावजूद आश्चर्यजनक रूप से कोई भी पीडि़त शनिवार देर शाम तक एफआईआर तक दर्ज कराने थाने नहीं पहुंचा। इससे इतर पुलिस ने भी अपनी तरफ से अब तक कोइ्र मामला दर्ज नहीं किया। एेसे में यह प्रश्न उठने लगा है कि क्या आमजन व पुलिस के बीच इतनी खाई उत्पन्न हो गई है कि वो पुलिस तक जाने से डर रही है? अथवा शहर की पुलिस जनता का विश्वास खोती जा रही है?


मामला दर्ज करने को पीडि़त के इंतजार में निकला पूरा दिन


मारपीट को लेकर शुक्रवार रात सवा नौ बजे दो गुटों में बवाल हो गया था। दूरी अधिक होने से अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर पहुंचने में कुछ समय लग गया, लेकिन एक बार मोर्चा संभालते ही एक-डेढ़ घंटे में पुलिस ने स्थिति नियंत्रित कर ली थी। रात को ही ग्यारह जनों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन सिर्फ शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया, जिन्हें शनिवार देर शाम कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। दिन भर कोई भी शिकायतकर्ता मामल दर्ज कराने सूरसागर थाने नहीं पहुंचा। पुलिस भी पीडि़त पक्ष का इंतजार करती रही। थानाधिकारी मुक्ता पारीक का कहना है कि कोई शिकायतकर्ता मामला दर्ज करवाने नहीं आया है। यदि एेसा ही रहा तो पुलिस अपनी तरफ से मामला दर्ज करेगी।


पीडि़तों में विश्वास नहीं जगा पा रही पुलिस

उपद्रव में दुकान व कार खाक होने के साथ ही एक मकान के खिड़की-दरवाजे व कांच तक फोड़ दिए गए। पुलिस मकान व कार के साथ ही मकान मालिक से परिचित है। इनमें कोई पक्ष शिकायत दर्ज कराने थाने नहीं आया तो पुलिस का भी कोई अधिकारी नुकसान का पता लगाने पीडि़त तक नहीं पहुंचा।


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