पढ़ाई पूरी होने के बाद अभिनव ने फ्रीलांसिंग फोटोग्राफी की शुरुआत की। जवाई क्षेत्र में तेंदुए संरक्षण से जुड़े लोगों का साथ मिला। यहीं पर उनकी रुचि वन्यजीवों में अधिक बढऩे लगी। यहां कार्य करते हुए बड़ी बिल्लियों को समझने का मौका मिला। यहीं से फिर उत्तराखंड में अर्ध सरकारी संस्था से जुड़ कर वहां की पारिस्थितिकी तंत्र को पुनरू सुधारने के लिए कार्य में जुट गए। बिलौरी गांव में पिछले डेढ़ साल से अभिनव फोटोग्राफी के माध्यम से इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं।
अभिनव ने बताया कि यहां वह ईको-सिस्टम बैलेंस करने में भी सहायता प्रदान कर रहे हैं। मधुमक्खी पालन, मछली पालन सहित कीट-पतंगों, सांपों और चिडिय़ाओं के संरक्षण में कार्यरत है। जो प्रकृति की खाद्य शृंखला को मजबूत करने में सहायक हैं। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र सुचारू होने से गांव के रहवासियों के लिए कमाई के नए साधन सामने आएंगे। एक अंतरराष्ट्रीय मैग्जीन के लिए पोलो की तस्वीरें लेने आए अभिनव जेएनवीयू के जियोलॉजी विभाग से सेवानिवृत पिता डॉ सुनील त्रिवेदी, माता सुनीता त्रिवेदी और आर्टिस्ट बहन अंकिता को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं।