चन्द्र दर्शन के बाद पति के हाथों सात बार जल आचमन एवं मिष्ठान खिलाकर चतुर्थी के कठिन व्रत का पारणा करेगी। पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए रखे जाने वाले करवा चौथ व्रत के दिन चतुर्थी का चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा। इस नक्षत्र में व्रत रखना अति शुभ माना गया है। ये भी मान्यता है कि विशिष्ट योग में चंद्र दर्शन से मनवांछित फल प्रदान करता है। करवा चौथ की पूर्व संध्या पर सुहागिनों में हाथों में मेहंदी रचाने के प्रति उत्साह रहा। खास तौर कोविडकाल में परिणय सूत्र में बंधी नवविवाहितों में प्रथम करवा चौथ व्रत को लेकर विशेष उत्साह है। करवा चौथ को उपहार दिए जाने की परम्परा के चलते स्वर्ण आभूषणों की दुकानों पर रौनक छाई रही। फेस्टिव सीजन की खरीदारी के चलते बाजारों में चहल पहल बढ़ गई है।
मौसम अनुकूल रहा तो चन्द्रोदय 8.३५ मिनट पर
इस बार करवा चौथ की शाम मौसम अनुकूल रहने पर चन्द्रोदय 8.३५ मिनट पर होगा। पं. ओमदत्त शंकर ने बताया कि पंचागों के अनुसार रविवार को जोधपुर में चन्द्रोदय रात्रि ८.३५ बजे होगा। ज्योतिषियों के अनुसार रविवार को यह व्रत होने से भी इस सूर्यदेव का शुभ प्रभाव भी इस व्रत पर पड़ेगा। धार्मिक दृष्टि से यह नक्षत्र बेहद शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और चंद्र दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती है।
करवा चौथ पूजन मुहूर्त
करवा चौथ तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर को सुबह 3.01 मिनट से चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर सुबह 5.43 मिनट पर
करवा चौथ व्रत पूजा शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 5.43 मिनट से 6.59 मिनट तक