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टैग लगी कुरजां की हुई पहचान, डेढ़ वर्ष पूर्व लगाया था टैग

. खीचन में एक दिन पूर्व मिले टैग लगी कुरजां की पहचान हो गई है। यह टैग रूस में लगाया गया था। जो कि डेढ़ साल पहले लगाया गया था।

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टैग लगी कुरजां की हुई पहचान, डेढ़ वर्ष पूर्व लगाया था टैग

टैग लगी कुरजां की हुई पहचान, डेढ़ वर्ष पूर्व लगाया था टैग

फलोदी (जोधपुर) . खीचन में एक दिन पूर्व मिले टैग लगी कुरजां की पहचान हो गई है। यह टैग रूस में लगाया गया था। जो कि डेढ़ साल पहले लगाया गया था।


पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि टैग लगी कुरजां की शिनाख्त के लिए जगह-जगह प्रयास किए गए। इस दौरान यह टैग रशिया में लगाए जाने की पुष्टि हुई है। यह टैग ए-5 पाया गया। जो कि गत 2 अगस्त 2019 को लगाया था। यह मादा कुरंजा के लागाया गया था। जबकि ए-4 टैग लगे कुरजां की लोकेशन अभी तक ट्रेस नहीं हुई है।

पक्षी शोध के लिए लगाए जाते है टैग

पक्षी शोध के लिए अक्सर कु रजां के टैग लगाया जाता है। इससे कुरजां कितनी दूरी पर गई। किस स्थानों पर गई है। किन भौगोलिक परिस्थियों से गुजरी है। आदि शोध के लिए कुरजां के टैग लगाया जाता है।

30 हजार से अधिक कुरजां कर रही पड़ाव

फलोदी तहसील के खीचन गांव में इन दिनों 30 हजार से ज्यादा कुरजां पक्षी शीतकालीन प्रवास पर पहुंच चुकी है। यहां पहुंचने बाद कुरजां मानव के इतनी घनिष्ठता कायम कर लेती है कि इन्हें मानव से कोई खतरा महसूस नहीं हो ताया है।