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इस माह के अंत तक भारत यात्रा के लिए उड़ान भरेगी कुरजां, अभी वैज्ञानिक कर रहे ऐसा काम

कुरजां के जीवन को बचाने के लिए मंगोलिया के वैज्ञानिक हर साल कुरजां के प्राकृतवास क्षेत्र में इस तरह का कैम्प लगाते हैं

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फलोदी। नवसृजित जिले फलोदी के खीचन में मंगोलिया से शीतकालीन प्रवास पर आने वाली सायबेरियन बर्ड कुरजां का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है। सायबेरियन बर्ड के विश्व भ्रमण पर निकलने से पहले मंगोलिया के खुर्ख-खुतेनी वैली के प्राकृतवास पर वैज्ञानिकों की टीम ने शिविर लगा कुरजां के चूजों की टेगिंग शुरू की है । इसके साथ ही ब्रिडिंग के बाद आए चूजों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक उपचार व टीकाकरण का कार्य भी शुरु किया गया है।

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कुरजां के जीवन को बचाने के लिए मंगोलिया के वैज्ञानिक हर साल कुरजां के प्राकृतवास क्षेत्र में इस तरह का कैम्प लगाते हैं। इसका बड़ा कारण कुरजां की सुरक्षा व रूट की जानकारी के लिए विलुप्त हो रहे इस सुन्दर पक्षी की संख्या में बढ़ोतरी करना भी है। मंगोलिया व रशिया के वैज्ञानिक गत 29 जुलाई से लगातार चूजों की टेगिंग व बर्ड की परिपक्वता तक देखभाल करेंगे। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार वैज्ञानिक कुरजां के रहवास व प्रवास स्थलों पर रिसर्च कर सुरक्षा के लिए किए जाने वाले कार्यों के सम्बंध में तथ्य जुटाने के लिए टैगिंग कर रहे हैं, जिसका उपयोग कुरजां के जीवन पर मंडरा रहे खतरों को कम करने के लिए किया जा सकेगा।

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जलवायु परिवर्तन की वजह से इस बार सायबेरियन बर्ड का ब्रिडिंग समय प्रभावित हुआ है। जिससे चूजे अभी उड़ान भरने की स्थिति में नहीं है, मादा अपने चूजों के साथ ही उड़ान भरेगी। वहीं मंगोलिया, रशिया, कजाकिस्तान में अच्छी बारिश से भोजन,पानी व मौसम भी अनुकूल है।
- डॉ. दाऊलाल बोहरा, सदस्य आईयूसीएन