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रामदेवरा जीरे की फसल कटाई को आए थे, लॉकडाउन होने पर ठेकेदार ने वापस रवाना किया तो फंस गए कई परिवार

locationजोधपुरPublished: Apr 02, 2020 03:59:37 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

शहर के पांचवी रोड पर एमपी के लिए पैदल जा रहे लोगों को पुलिस ने रोका तो एक महिला ने कुछ इस तरह अपनी पीड़ा बयां कर पुलिस अधिकारी से विनती करती नजर आई। हुआ यूं कि बुधवार सुबह करीब साढ़े दस बजे पचास से अधिक लोग, जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। पैदल आते नजर आए।

labour families got stuck in jodhpur due to lockdown in india

रामदेवरा जीरे की फसल कटाई को आए थे, लॉकडाउन होने पर ठेकेदार ने वापस रवाना किया तो फंस गए कई परिवार

ओम टेलर/जोधपुर. साहब, घर पर बच्चे अकेले हैं। उनकी फ्रिक हो रही है। हमें जाने दो। हम बिलकुल स्वस्थ हैं। खाने-पीने की कोई कमी नहीं है। राजस्थान के लोग भले हैं। रास्ते में जगह-जगह सेवा कर रहे हैं। शहर के पांचवी रोड पर एमपी के लिए पैदल जा रहे लोगों को पुलिस ने रोका तो एक महिला ने कुछ इस तरह अपनी पीड़ा बयां कर पुलिस अधिकारी से विनती करती नजर आई। हुआ यूं कि बुधवार सुबह करीब साढ़े दस बजे पचास से अधिक लोग, जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। पैदल आते नजर आए।
कई महिलाएं सिर पर सामान का कट्टा और बगल में बच्चे को लिए आगे बढ़ती नजर आई। इतने सारे लोगों को पैदल आते देख किसी ने पुलिस को सूचना की। खांडा फलसा व सरदारपुरा थाना पुलिस ने इन्हें पांचवी रोड कोहिनूर सिनेमा के निकट रोका। जिनमें 17 पुरुष, 20 महिलाएं व 23 बच्चे शामिल थे। धूप में चलने के कारण कई बच्चों के चेहरे मुरझाए नजर आए। इनमें कई बच्चे ऐसे भी थे जो पढ़ाई करते थे ओर परिजन उन्हें साथ लेकर आ गए।
जीरा काटने आए थे, चार दिन काम किया और लॉक डाउन लग गया
मांगीलाल कहते हैं कि वे मध्यप्रदेश के थोरा नेक (रावगढ़) गोना जिले के हैं। पिछले पांच-छह वर्षों से निरंतर रामदेवरा के निकट स्थित बारू गांव में जीरे की फसल कटाई के लिए आते रहे हैं। इस बार चार दिन काम किया था कि लॉक डाउन हो गया। जहां आए थे उसने मजदूरी के पैसे देकर रवाना कर दिया। कोई साधन नहीं था। गांव में कहां रूकते। इसलिए पैदल ही रवाना हो गए। थकते हैं तो कुछ देर आराम कर फिर आगे चल निकलते हैं।
12 साल की बेटी घर पर अकेली हैं
सन्नाबाई अपनी पीड़ा बताते हुए रूआंसे होकर कहती हैं, रोजगार नहीं होने से पिछले कई वर्षों से दोनों पति-पत्नी राजस्थान में फसल कटाई के लिए आ रहे हैं। 12 साल की बेटी तथा आठ साल के बच्चे को गांव में झोपड़ी में अकेला छोड़कर आए हैं। महज दस दिन का किराणा सामान उनके लिए डालकर आए थे। साहब बच्चों की फ्रिक हो रही है। अब जाने दो। हमारी जान तो बच्चों में अटकी है। हम बिल्कुल स्वस्थ हंै। चाहो तो जांच कर लो।
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