मांगीलाल कहते हैं कि वे मध्यप्रदेश के थोरा नेक (रावगढ़) गोना जिले के हैं। पिछले पांच-छह वर्षों से निरंतर रामदेवरा के निकट स्थित बारू गांव में जीरे की फसल कटाई के लिए आते रहे हैं। इस बार चार दिन काम किया था कि लॉक डाउन हो गया। जहां आए थे उसने मजदूरी के पैसे देकर रवाना कर दिया। कोई साधन नहीं था। गांव में कहां रूकते। इसलिए पैदल ही रवाना हो गए। थकते हैं तो कुछ देर आराम कर फिर आगे चल निकलते हैं।
सन्नाबाई अपनी पीड़ा बताते हुए रूआंसे होकर कहती हैं, रोजगार नहीं होने से पिछले कई वर्षों से दोनों पति-पत्नी राजस्थान में फसल कटाई के लिए आ रहे हैं। 12 साल की बेटी तथा आठ साल के बच्चे को गांव में झोपड़ी में अकेला छोड़कर आए हैं। महज दस दिन का किराणा सामान उनके लिए डालकर आए थे। साहब बच्चों की फ्रिक हो रही है। अब जाने दो। हमारी जान तो बच्चों में अटकी है। हम बिल्कुल स्वस्थ हंै। चाहो तो जांच कर लो।