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अदालती दखल के बिना दर्ज नहीं होते मुकदमे

locationजोधपुरPublished: Oct 18, 2019 01:29:41 am

Submitted by:

yamuna soni

-राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में पेश शपथ पत्र ने खोली पोल-राज्य में वर्ष के शुुरुआती छह महीने में कोर्ट के आदेश से दर्ज हुए महिला अत्याचार के 1467 मुकदमे

जोधपुर.

राज्य सरकार (state govt.) के दावों के उलट महिला अत्याचार (Female torture) के मामले पुलिस थानों में सीधे दर्ज नहीं होते। यही वजह है कि लज्जा भंग (Disgrace) के मामले दर्ज करवाने के लिए पीडि़त पक्ष को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।
महिला अत्याचार के प्रकरणों को लेकर राज्य सरकार की ओर से पेश शपथ पत्र में यह खुलासा हुआ है। शपथ पत्र के अनुसार चालू वर्ष के पहले छह महीने में अदालत के आदेश के बाद लज्जा भंग के सर्वाधिक मामले अलवर जिले में दर्ज हुए। इसके बाद भरतपुर और प्रतापगढ़ जिलों में पुलिस की नानुकर के कारण न्यायालय को दखल देना पड़ा।
राज्य में महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते अत्याचारों को लेकर 17 मई को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित टिप्पणी ‘निकम्मेपन की हद’ पर हाईकोर्ट (rajasthan highcourt) ने स्वप्रसंज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया था।
कोर्ट ने 14 अगस्त को राज्य सरकार और राज्य के सभी जिला न्यायाधीशों को उनके क्षेत्राधिकार में 1 जनवरी, 2019 से 30 जून तक भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 354 (छेड़छाड़ या उत्पीड़न), 304 बी (दहेज हत्या), 306 (आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण) और पॉक्सो एक्ट के तहत पुलिस थाने में सीधे या कोर्ट के आदेश पर दर्ज मामलों का विवरण मांगा था।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में पेश विवरण के अनुसार 30 जून तक महिला अत्याचारों से जुड़ी इन धाराओं में 9 हजार 48 मामले में दर्ज किए गए। इनमें सर्वाधिक 4184 मामले लज्जा भंग, 2857 मामले बलात्कार और 1670 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए।
चिंताजनक तस्वीर
सरकार के अनुसार 1467 मामले कोर्ट की दखल के बाद दर्ज किए गए। इनमें लज्जा भंग के सर्वाधिक 832 और बलात्कार के 506 मामले दर्ज करने के लिए अधीनस्थ अदालतों को सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आदेश जारी करने पड़े। बलात्कार के सबसे ज्यादा 50 मामले अलवर में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दर्ज हुए। इसके बाद भरतपुर में 48 और प्रतापगढ़ में 36 मामले अदालती आदेश से दर्ज हुए। यह हालत तो तब है कि जब राज्य सरकार व पुलिस महानिदेशक ने संज्ञेय मामलों में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दे रखे हैं।
लज्जा भंग के भी सबसे ज्यादा 61 मामले कोर्ट के आदेश पर अलवर में और प्रतापगढ़ में 56 मामले दर्ज हुए। दरअसल, कोर्ट ने पुलिस की तत्परता एवं संवेदनशीलता के दावों को परखने के लिए छह महीने का ब्यौरा मंगवाया था, जिसमें एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो गया है।
महिला अत्याचारों के मामले
धारा कोर्ट के आदेश पर दर्ज पुलिस थाने में दर्ज

भादसं की धारा 376 506 2351
भादसं की धारा 304 2 16

भादसं की धारा 304 बी 13 211
भादसं की धारा 354 832 3352
भादसं की धारा 306 13 82
पॉक्सो एक्ट के मामले 101 1569

योग 1467 7581

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