जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रो. सरोज कौशल, सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में संस्कृत की सहायक आचार्य डॉ. मोनिका वर्मा, राजकीय महाविद्यालय, भोपालगढ़ में संस्कृत की सहायक आचार्य डॉ. दीपमाला और रिसर्च स्कॉली सीमा सोनगरा ने नाट्यशास्त्र कार्यशाला में भाग लेने के लिए पुणे में रजिस्टे्रशन करवाया है। ये सभी संस्कृत विभाग की ही छात्राएं रह चुकी हैं। ध्यान रहे कि इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए पूरे देश से जिज्ञासु और नाट्यकर्मी नामित किए गए हैं।
साहित्य अकादमी सहित कई राष्टी्रय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित प्रतिष्ठित सशक्त संस्कृत कवि, आलोचक व चिंतक प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी ( Prof. Radhavallabh Tripathi ) भण्डारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पुणे में 14 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक एक सप्ताह संस्कृत और अंगे्रजी माध्यम से नाट्यशास्त्र कार्यशाला के माध्यम से नाट्यशास्त्र पढाएंगे।
आचार्य भरत मुनि का नाट्यशास्त्र 36 अध्यायों में विभाजित एक अदभुत गं्रथ है। नाट्यशास्त्र को पंचम वेद कहा जाता हैं। आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी ने अपना पूरा जीवन शास्त्र-परम्परा के शोध में खपा दिया है। उनके चिन्तन सागर के मुक्ता फ ल को प्राप्त करने की यह कार्यशाला एक अनुपम उपक्रम है।
-डॉ. सरोज कौशल ( Dr saroj kaushal )
अध्यक्ष, संस्कृत विभाग
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर
एक प्राध्यापक वस्तुत: आजीवन शोध छात्र ही होता है। अनवरत स्वाध्याय और सुप्रतिष्ठित आचार्य त्रिपाठी जैसे विद्वानों से हमें नाट्यशास्त्र के गंभीर व गहन रहस्यों से अवगत होने का सुनहरा अवसर मिलेगा।
– डॉ. मोनिका वर्मा ( Dr. Monika Verma )
सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर चिंतन क्षितिज विशद
नाट्य शास्त्र यूं भी पढ़ा जा सकता है, लेकिन विषय की गूढ़ता और सूक्ष्मता के दृष्टिगत इसे एक महान विद्वान से समझना अविस्मरणीय होगा। इस प्रकार की कार्यशालाओं से प्राध्यापक का चिंतन क्षितिज विशदता को प्राप्त होता है।
-डॉ. दीपमाला ( Dr Deepmala )
मैंने प्रो. सरोज कौशल के कुशल निर्देशन में ‘अलिविलासिसंलाप’ नामक खण्डकाव्य पर शोधप्रबन्ध प्रस्तुत किया है। इस खण्डकाव्य के प्रबन्ध सम्पादक भी प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी ही हैं। मैं ऐसे मनीषी आचार्य से साक्षात से पढऩा अपना सौभाग्य मानती हूं।
-सीमा सोनगरा ( Seema Sonagara )
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर