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26 साल बाद भारत में हुआ था बड़ा हमला, अब ‘दुश्मन’ की तीसरी पीढ़ी हमले के लिए हो रही तैयार, जानिए पूरा मामला

जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र के बड़े हिस्से में इन दिनों टिड्डी के अण्डों से हॉपर यानी फाके निकले हैं।

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जोधपुर। जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र के बड़े हिस्से में इन दिनों टिड्डी के अण्डों से हॉपर यानी फाके निकले हैं। टिड्डी चेतावनी संगठन की टीमों ने मौके पर पहुंचकर किसानों के खेत में पेस्टीसाइड स्प्रे करके हॉपर खत्म कर दिए हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तीन साल पहले वर्ष 2020 में हुए बड़े टिड्डी हमले में कुछ जीवित बच गई टिड्डी की ही यह पीढ़ी है जो क्षेत्र विशेष में ही रहकर अपना जीवन चक्र पूरा कर रही थी।

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इस साल चक्रवाती तूफान बिपरजॉय और उसके बाद मानसून की मूसलाधार बारिश ने रेगिस्तान में इन अण्डों को अनुकूल वातावरण दे दिया। जून और जुलाई महीने में जैसलमेर में 185 मिलीमीटर, बाड़मेर में 437 मिमी, बीकानेर में 268 मिमी बरसात हो चुकी है। अत्यधिक बारिश के कारण टिड्डी के अण्डों से अब तेजी से हॉपर निकल रहे हैं जो चटख पीले रंग के हैं।

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5 स्टार तक पहुंच गए हॉपर

मोहनगढ़ में टिड्डी के अण्डो से निकले हॉपर काफी बड़े थे। ये 5 स्टार तक पहुंच गए। इसके बाद सीधी वयस्क अवस्था होती है। टिड्डी के अण्डे से 1 स्टार, 2 स्टार, 3 स्टार, 4 स्टार और 5 स्टार के बाद हॉपर वयस्क में बदलता है। बाड़मेर जिले के कुछ हिस्सों में सोलेटरी यानी एकल टिड्डी मिली है जिनकी झुण्ड बनाकर फसलों पर हमला करने की प्रवृति नहीं होती है। रेगिस्तानी टिड्डी दो फेज सोलेटरी और ग्रिगेरियस में रहती है। ग्रिगेरियस फेज में वह झुण्ड बनाकर हमला करती है। बीकानेर में ग्रासहॉपर मिले हैं। राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों के अलावा गुजरात में भी सर्वे किया जा रहा है। टिड्डी हमले की बढ़ती आशंका को देखते हुए अतिरिक्त टीमें लगाई जा रही है।


फ्लैश बैक

- वर्ष 2020 में 26 साल बाद भारत में टिड्डी का बड़ा हमला हुआ था।

- 30 अप्रेल 2020 के बाद भारत में 111 बड़े टिड्डी दल आए थे, जिससे राजस्थान में ही एक हजार करोड़ रुपए की फसल चौपट हो गई।

- अप्रेल से जुलाई 2020 तक टिड्डी आती रही। अगस्त में इक्का-दुक्का टिड्डी दल आया था।

- टिड्डी राजस्थान के पार करके दिल्ली तक पहुंच गई। उत्तरप्रदेश, बिहार होते हुए नेपाल में भी घुसी थी।


जैसलमेर के कुछ हिस्से में हॉपर मिले थे जिनको पूरी तरह नियंत्रित कर लिया गया है।

डॉ. वीरेंद्र कुमार, सहायक निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन