टिड्डी चेतावनी को टिड्डी प्रबंधन का रूप दिया जाएगा। साथ ही जीरा, मूंग, मोठ, ग्वार सहित अन्य फसलों पर पाए जाने वाले अन्य कीट के प्रबंधन को भी देखेगा। इसके अधीन राजस्थान व गुजरात के 12 क्षेत्रीय कार्यालय रहेंगे जो देश का सबसे बड़ा कीट प्रबंधन संस्थान होगा।
कराची से होती थी मॉनिटरिंग
ब्रिटिश सरकार ने अविभाजित भारत में 1936 में कराची में टिड्डी चेतावनी संगठन की स्थापना की थी। अफ्रीकी देशों से टिड्डी ईरान व पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान होते हुए अविभाजित भारत में प्रवेश करती थी। उस समय 1926 से लेकर 1931 के दौरान बड़े स्तर पर टिड्डी दलों का हमला हुआ था, जिसमें ब्रिटिश सरकार के कई सूबे हिल गए थे और भूखमरी की समस्या पैदा हो गई थी। तब देश के अन्य राज्यों को टिड्डी से बचाने, उसके आने की चेतावनी व निपटने के लिए एलडब्ल्यूओ की स्थापना की थी। आजादी से पूर्व 1946 में एलडब्ल्यूओ को जोधपुर में स्थानांतरित कर किया गया, तब से देश में टिड्डी से निपटने का मुख्यालय जोधपुर ही बना रहा। भारत से पृथक होकर पाकिस्तान के अलग देश बनने के बाद भी दोनों देश टिड्डी संबंधी जानकारी को हर साल एक दूसरे के साथ शेयर करते हैं। कोविड से पहले 2020 तक दोनों देशों के टिड्डी अधिकारी बारी-बारी से खोखरापार व मुनाबाव में बैठक करते आए हैं। आजादी के समय यह बैठकें भारत में दिल्ली और पाकिस्तान में कराची में हुआ करती थी।
26 साल बाद आई टिड्डी
वर्ष 1993 के बाद देश में 26 साल बाद 2020 में टिड्डी का बड़ा हमला हुआ था। इस दौरान बड़े 104 टिड्डी दलों ने भारत में प्रवेश करके करीब एक हजार करोड़ रुपए की फसल बर्बाद कर दी। टिड्डी नेपाल तक पहुंच गई थी।
10 टिड्डी सर्किल कार्यालय
एलडब्ल्यूओ (LWO) जोधपुर के अधीन राजस्थान व गुजरात के दस टिड्डी सर्किल कार्यालय भी हेै। ये जोधपुर, सूरत, फलोदी, जालोर, बीकानेर, बाड़मेर, चूरू, जैसलमेर, नागौर और गुजरात के पालनपुर व भुज में है। नए संगठन में श्रीगंगानगर और जयपुर के सेंट्रल इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट कार्यालय भी जोड़े जाएंगे।
टिड्डी के अलावा अन्य कीट के प्रबंधन को लेकर इसके स्वरूप में बदलाव किया जा रहा है।
- डॉ. वीरेंद्र कुमार, सहायक निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर