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मंडोर के जनाना महल में गर्मी-आंधियों से बचने के लिए रानियां होती थी क्वॉरेंटाइन, ये हैं इसकी खूबियां

मेहरानगढ़ के महलों से दूर मंडोर में वर्ष 1718-19 के दौरान खास तौर से जनाना महल का निर्माण करवाया गया। महल निर्माण के दौरान गरम हवाओं की दिशाओं को दृष्टिगत रखते हुए पहाड़ों के बीच तलहटी की ओट में अपेक्षाकृत ठंडा होने और सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त होने से इस स्थान का चयन किया गया। महल आज भी जनाना महल के नाम से ही जाना जाता है।

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mandore situated janana mahal was used by queens in summer days

मंडोर के जनाना महल में गर्मी-आंधियों से बचने के लिए रानियां होती थी क्वॉरेंटाइन, ये हैं इसकी खूबियां

नंदकिशोर सारस्वत/जोधपुर. कोरोना के प्रकोप के बीच क्वॉरेंटाइन आज की पीढ़ी के लिए नया शब्द भले ही हो, लेकिन मारवाड़ में यह पुरानी परम्परा है। टाइफाइड जैसी मौसमी बीमारियों और संक्रामक रोगों का प्रसार रोकने के लिए रोगियों को तो अलग रखा ही जाता था, लेकिन मारवाड़ के राजघराने ने तो 17वीं शताब्दी में ही रानियों को गर्मी और धूलभरी आंधियों से भी बचाने के लिए क्वॉरेंटाइन के खास इंतजाम किए थे।

इसकी निशानी के रूप में सूर्यनगरी के प्रमुख दर्शनीय स्थल मंडोर में सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी में निर्मित जनाना महल आज भी मौजूद है। मारवाड़ की शिल्प कला का बेहतरीन नमूना माने जाने वाला जनाना महल महारानियों-रानियों को लू के थपेड़ों और आंधियों के प्रकोप से बचाने के लिए महाराजा अजीतसिंह ने खासतौर से बनवाया था।

मेहरानगढ़ के महलों से दूर मंडोर में वर्ष 1718-19 के दौरान खास तौर से जनाना महल का निर्माण करवाया गया। महल निर्माण के दौरान गरम हवाओं की दिशाओं को दृष्टिगत रखते हुए पहाड़ों के बीच तलहटी की ओट में अपेक्षाकृत ठंडा होने और सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त होने से इस स्थान का चयन किया गया। महल आज भी जनाना महल के नाम से ही जाना जाता है।

लाल घाटू के पत्थरों से निर्मित महल परिसर वर्तमान में मंडोर राजकीय संग्रहालय का हिस्सा है। परिसर में एक स्तंभ के रूप में एक थम्बामहल तीन मंजिल ऊंची अष्ठभुजी इमारत है। जिसमें क्रमश: एक भुजा में द्वार, दूसरी भुजा में पत्थर की नक्काशीदार जाली बनी है। महल में विभिन्न आकार के कक्ष भी निर्मित है। जनाना महल के मध्य सुंदर खुला आंगन है जिसके नीचे की ओर से बने चौक में फूलों का बगीचा और फव्वारें भी हैं, जो अभी बंद पड़े हैं।


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