नगर निगम दक्षिण ने हाल ही में प्रत्येक वार्ड में पौधे लगाने का अभियान चलाया था। भामाशाहों के सहयोग व कुछ राशि निगम ने टैंडर करते हुए जारी की। करीब 30-40 लाख खर्च किए गए हरियाली के लिए, लेकिन इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दे रहा।
हरियाली बढ़ाना और इसका संरक्षण करने का मूल काम वन विभाग का है। यदि एक बार प्रयोग के तौर पर इनको जिम्मेदारी दी जाए तो पौधरोपण की लागत भी कम आएगी और सरकारी एजेंसी की मॉनिटरिंग भी कम हो सकेगी। जितना खर्च वर्तमान में पौधरोपण का हो रहा है वह घट कर एक चौथाई रह सकता है। यदि यह संभव नहीं हो तो जिन निजी फर्म को हरियाली के वर्क ऑर्डर दिए जा रहे हैं, उनकी मॉनिटरिंग होनी चाहिए। यदि डिफाल्ट निकलता है तो उन पर जुर्माना भी लगाना चाहिए।