अब खुद नहीं करते, दूसरों से करवाते हैं कुछ समय पहले तक जो व्यक्ति खुद चुनाव लडऩा चाहता है वह सोशल मीडिया पर अपनी खुद ही दावेदाी करता था। लेकिन जैसे ही संगठन इन पर नजर रखने लगे तो अब दावेदार खुद के नाम से नहीं अपने परिचितों से पोस्ट वायरल करवा रहे हैं।
माहौल बनाने का जरिया है नगरीय निकायों के चुनाव में सोशल मीडिया का बड़ा महत्व होता है। एक वार्ड में औसतन 8-10 हजार लोग होते हैं। इनमें आधे से ज्यादा सोशल मीडिया पर सक्रिय होते हैं। ऐसे में अपनी दावेदारी के लिए नए नेता इस प्लेटफार्म का उपयोग कर रहे हैं।
महापौर पर सस्पेंस बरकरार महापौर की आरक्षण लॉटरी में हो रही देरी के कारण लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। भाजपा जिला संगठन ने तो आरोप लगाए हैं कि कांग्रेस सरकार इसमें विलंब कर महापौर-चेयरमैन के सीधे निर्वाचन के फैसले को ही पलटने वाली है। भाजपा जिलाध्यक्ष जगतनारायण जोशी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अनुच्छेद 370 और कश्मीर मसले पर भाजपा के पक्ष में माहौल देखकर राज्य सरकार यह फैसला लेने को मजबूर हुई है।
कांग्रेस का रुख कांग्रेस जिलाध्यक्ष सईद अंसारी ने कहा कि टिकट का निर्णय पार्टी अपने स्तर पर करेगी। सोशल मीडिया पर कोई कुछ भी लिखे कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे लोकतंत्र में इतना तो करना बनता है।
भाजपा का रवैया भाजपा जिलाध्यक्ष जगत नारायण जोशी का कहना है कि सभी को अपनी दावेदारी करने का पूरा अधिकार है। लेकिन अनुशासन में रहकर करें। सोशल मीडिया पर इस प्रकार छवि खराब नहीं कर सकते।