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Navratra Special: पहाड़ी की तलहटी में चट्टानों को चीर कर प्रकट हुईं मां चामुंडा

मंगरा पूंजला माता का थान पहाड़ी की तलहटी में बना प्रगट चामुंडा मंदिर स्थापत्य कला के साथ हजारों श्रद्धालुओं के आस्था स्थल भी है

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जोधपुर। माता का थान मंदिर के इतिहास के बारे में एक दोहे के माध्यम से बताया गया है कि विक्रम संवत 1860 पूंजले भाखर प्रगटीया मांय.... दरसण कर राजा मान मंदिर दियो चुणाय। जिसका अर्थ है कि करीब 220 साल पूर्व वि.स. 1860 में माता का थान पहाड़ी की चट्टानों को चीर कर प्रगट हुई मां चामुण्डा प्रतिमा के दर्शन के बाद महाराजा मानसिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था। जोधपुर में करीब 40 साल तक शासक रहे महाराजा मानसिंह का कार्यकाल विक्रम संवत 1860 से 1900 तक रहा था।

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मंगरा पूंजला माता का थान पहाड़ी की तलहटी में बना प्रगट चामुंडा मंदिर स्थापत्य कला के साथ हजारों श्रद्धालुओं के आस्था स्थल भी है। माता के मंदिर के कारण पूरा क्षेत्र माता का थान नाम से जाना जाता हैं। मंदिर परिसर की आसपास सुरम्य धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका हैं। कुछ साल पूर्व मंदिर जीर्णोद्धार के बाद माता की प्राचीन मूर्ति के पास ही नवीन मूर्ति को भी प्रतिष्ठित किया गया हैं। पूंजला गांववासियों के सहयोग से 90 के दशक में मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया गया।

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हर्बल पार्क विकसित
मंदिर परिसर के पीछे खाली भू-भाग में राजस्थान पत्रिका के हरयाळो राजस्थान के तहत रोपित और विकसित हर्बल पार्क में विभिन्न प्रजातियों के हजारों पौधे वट वृक्ष बन चुके हैं। इनमें आम, जामुन, चीकू, अनार, अमरूद, गुलर, चंदन, नारियल, खजूर सहित करीब 45 तरह के पौधे लगाए गए है, जिनकी संख्या वर्तमान में 15 हजार से अधिक है। उद्यान में फुटबॉल स्टेडियम व सनसेट पॉइंट वाकिंग ट्रैक विकसित किया जा रहा है। करीब 12 बीघा क्षेत्रफल में फैले मंदिर में भगवान शिव की 12 फीट ऊंची प्रतिमा के साथ गणेश, भैरु, राम-लक्ष्मण व हनुमान मंदिर भी हैं। शारदीय व चैत्रीय नवरात्रा सहित शिवरात्रि व रामनवमी को मंदिर में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान जोधपुर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।