जोजरी नदी में प्रदूषण रोकने के लिए कई विभाग साथ करेंगे निरीक्षण, एनजीटी की फटकार के बाद दिखने लगी सख्ती
अभी तक घरेलू वेस्ट रोकने के लिए जिन विभागों पर जिम्मेदारी थी वही अब मिलकर औद्योगिक अपशिष्ट के लिए भी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल व रीको के साथ नगर निगम व जोधपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी साथ रहेंगे।

अविनाश केवलिया/जोधपुर. चाहे रिवर फ्रंट के लिहाज से कहें या फिर सी-गंगा के प्रोजेक्ट के तौर पर जोजरी नदी को साफ करने की प्रारंभिक मुहिम तेज हो गई है। घरेलू वेस्ट को रोकने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की घोषणा हाल ही राज्य बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कर चुके हैं। अब औद्योगिक वेस्ट को रोकने के लिए एनजीटी के निर्देश पर चार विभागों की संयुक्त टीम बनाई गई है। जो जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट की जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी।
अभी तक घरेलू वेस्ट रोकने के लिए जिन विभागों पर जिम्मेदारी थी वही अब मिलकर औद्योगिक अपशिष्ट के लिए भी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल व रीको के साथ नगर निगम व जोधपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी साथ रहेंगे। जेपीएनटी ने एहतियात के तौर पर टैक्सटाइल व स्टील इकाइयों में इस निरीक्षण को देखते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक संजय झा ने बताया कि एनजीटी के निर्देशानुसार जल्द निरीक्षण कर इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
कम क्षमता पर चलाने की अपील
इस जांच में बेहतर रिपोर्ट आए इसके लिए इकाइयों को उनकी क्षमता से आधा ही पानी उत्सर्जित करने को कहा गया है। जिससे कि जांच कमेटी को किसी प्रकार की अनियमितता नहीं मिले। मैनेजिंग ट्रस्टी जी.के गर्ग ने बताया कि एनजीटी के निर्देश पर यह कमेटी बनी है जो प्लांट व ट्रस्ट का निरीक्षण करेगी।
एक नजर में जोजरी में प्रतिदिन प्रदूषण की
- 170 एमएलडी घरेलू वेस्ट का पानी।
- इसमें से 30-35 एमएलडी बिना ट्रीट किए सीधा ही नालो के जरिये नदी में जा रहा।
- 20 एमएलडी का प्लांट औद्योगिक अपशिष्ट ट्रीट करने के लिए।
- 7-8 एमएलडी ही प्लांट तक पानी पहुंच रहा है, जिसे ट्रीट कर नदी में बहाया जाता है।
- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी से भी ज्यादा खतरनाक औद्योगिक अपशिष्ट।
इधर विधायक ने सदन उठाया गड़बड़ी का मामला
सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास ने नियम प्रक्रिया 295 के तहत जेनीएनटी में अनियमितताओं का मामला उठाया। उन्होंने सदन में बताया कि जेपीएनटी ने अनियमितता करते हुए पुरानी तारीखों में कनेक्शन दिए हैं। 50 एम.एल.डी. औद्योगिक अपशिष्ट ट्रीट की क्षमता के विरुद्ध पूर्ण क्षमता के स्थान पर नाममात्र का अपशिष्ट ट्रीट किया जाता है। यदि इस लिहाज से पानी ट्रीट होता तो चूने की मात्रा काम में आती है, जिससे उपचारण के बाद मिट्टी निकलती। लेकिन यह अनुपात बहुत कम है। ट्रीटमेंट ठीक से नहीं होने के कारण औद्योगिक क्षेत्रों की सडक़ पर प्रदूषित पानी फैला रहता है। खतरनाक स्तर के प्रदूषण फैलाने वाले रसायनों का उपयोग कई फैक्ट्रियों में किया जाता है। लेकिन सको भी नजरंदाज किया जाता है। उन्होंने सरकार से ट्रस्ट की जल्द जांच करवाने की मांग की।
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