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दिव्यांगों के लिए सरकारी स्कूलों के द्वार बंद, 4 साल में 40 फीसदी कम हुए नामांकन

locationजोधपुरPublished: Jan 23, 2020 01:02:22 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

चलन निशक्तता के सर्वाधिक 14 हज़ार बच्चे, सबसे कम 75 बच्चे तेजाब हमले से पीडि़त, 21 प्रकार की दिव्यांगता है प्रदेश में, एक लाख से अधिक बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल 800 शिक्षक

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दिव्यांगों के लिए सरकारी स्कूलों के द्वार बंद, 4 साल में 40 फीसदी कम हुए नामांकन

गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. प्रदेश की सरकारी स्कूलों में दिव्यांग विद्यार्थियों का नामांकन लगातार घटता जा रहा है। पिछले 4 साल में 40 फीसदी विद्यार्थियों को नामांकन कम हुआ। कई सरकारी स्कूलों द्वारा दिव्यांगों को ना कहने, उनके साथ भेदभाव करने और उन्हें पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों की उपलब्ता नहीं होने से दिव्यांग अब अपने घर बैठने को मजबूर हैं। गांवों में तो दिव्यांग छात्र-छात्राओं की हालत और खस्ता है।
वर्तमान में प्रदेश की सरकारी स्कूलों में 1 लाख से अधिक दिव्यांग बच्चे अध्ययनरत हैं। वर्ष 2015 में 1 लाख 16 हजार 683 दिव्यांगों ने स्कूल में प्रवेश लिया था। वर्ष 2016 में उनकी संख्या घटकर 1 लाख 7 हजार 299 रह गई। अगले वर्ष इनका नामांकन एक लाख से भी कम यानी 91 हजार 529 पर आ गया। वर्ष 2018-19 में महज 70 हजार 641 बच्चों ने ही सरकारी स्कूलों में प्रवेश लिया।
21 श्रेणी के दिव्यांग हैं स्कूलों में
वर्तमान में सरकारी स्कूलों में 21 श्रेणी के दिव्यांग पढ़ते हैं। इसमें चलन नि:शक्तता से पीडि़त सर्वाधिक बच्चे हैं। वर्ष 2018 में इनकी संख्या 14371 थी। सबसे कम तेजाब हमले में पीडि़त बच्चों की संख्या है जो वर्ष 2018 में 75 थी।
राज्य में कक्षा 1 से 8 तक दिव्यांगता अनुसार नामांकित बच्चों की संख्या

श्रेणी ————- वर्ष 2015 —-वर्ष 2016 —–वर्ष 2017 —–वर्ष 2018
1 पूर्ण दृष्टिबाधित ——-1553 ——-1399 ——-2264 ——-3290
2 अल्प दृष्टिबाधित —–12288 —–11739 —— 10807 ——-9370
3 श्रवण बाधित ——-9375 ——-8712 ——-7850 ——-8006
4 वाक एवं भाषा ——14627 ——-14693 ——-9830 ——-8937
5 चलन नि:शक्तता —–19798 ——17823 ——17283 ——-14371
6 मानसिक विमंदित —-25436 ——-22234 ——10597 ——-9155
7 अधिगम क्षमता ——-25796 ——-23600 ——-15764 ——-5481
8 सेरेब्रल पाल्सी ——-3231 ——-3200 ——-3344 ——-1955
9 ऑटिज्म ———–476 ——-338 ———-795 ——-575
10 बहुविकलांगता ——4103 ——3561 ——-3897 ——-1969
शेष 11 श्रेणियों के लिए सरकार के पास केवल दो साल का डाटा है।

श्रेणी —— ——- वर्ष 2017 ——- वर्ष 2018
11 कुष्ठ रोग मुक्त —–179 ———– 199
12 बौनापन ——— 524 ————- 584
13 बौद्धिक नि:शक्तता– 6529 ———3975
14 मांसपेशिय दुर्विकास–1044 ——— 1748
15 क्रोनिक न्यूरो डिस.— 219——— 170
16 मल्टीपल स्कलेरोसिस— 234 ——— 272
17 थैलेसीमिया ——— 128 ——— 138
18 हीमोफीलिया ——— 68 ——— 121
19 सिकल सेल डिजिज — 88 ——— 158
20 तेजाब हमला पीडि़त —27 ——— 75
21 पार्र्किंसस रोग ——– 58 ——— 92
शिक्षकों की कमी है
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों की कमी है। एक शिक्षक की ड्यूटी एक साथ दो से तीन स्कूल में लगाई जाती है।
– प्रो. एलएन बुनकर, एचओडी, मनोविज्ञान विभाग, जेएनवीयू जोधपुर
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