वर्तमान में सरकारी स्कूलों में 21 श्रेणी के दिव्यांग पढ़ते हैं। इसमें चलन नि:शक्तता से पीडि़त सर्वाधिक बच्चे हैं। वर्ष 2018 में इनकी संख्या 14371 थी। सबसे कम तेजाब हमले में पीडि़त बच्चों की संख्या है जो वर्ष 2018 में 75 थी।
1 पूर्ण दृष्टिबाधित ——-1553 ——-1399 ——-2264 ——-3290
2 अल्प दृष्टिबाधित —–12288 —–11739 —— 10807 ——-9370
3 श्रवण बाधित ——-9375 ——-8712 ——-7850 ——-8006
4 वाक एवं भाषा ——14627 ——-14693 ——-9830 ——-8937
5 चलन नि:शक्तता —–19798 ——17823 ——17283 ——-14371
6 मानसिक विमंदित —-25436 ——-22234 ——10597 ——-9155
7 अधिगम क्षमता ——-25796 ——-23600 ——-15764 ——-5481
8 सेरेब्रल पाल्सी ——-3231 ——-3200 ——-3344 ——-1955
9 ऑटिज्म ———–476 ——-338 ———-795 ——-575
10 बहुविकलांगता ——4103 ——3561 ——-3897 ——-1969
11 कुष्ठ रोग मुक्त —–179 ———– 199
12 बौनापन ——— 524 ————- 584
13 बौद्धिक नि:शक्तता– 6529 ———3975
14 मांसपेशिय दुर्विकास–1044 ——— 1748
15 क्रोनिक न्यूरो डिस.— 219——— 170
16 मल्टीपल स्कलेरोसिस— 234 ——— 272
17 थैलेसीमिया ——— 128 ——— 138
18 हीमोफीलिया ——— 68 ——— 121
19 सिकल सेल डिजिज — 88 ——— 158
20 तेजाब हमला पीडि़त —27 ——— 75
21 पार्र्किंसस रोग ——– 58 ——— 92
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों की कमी है। एक शिक्षक की ड्यूटी एक साथ दो से तीन स्कूल में लगाई जाती है।
– प्रो. एलएन बुनकर, एचओडी, मनोविज्ञान विभाग, जेएनवीयू जोधपुर