एम्स में हुए अध्ययन में खुलासा हुआ हैं कि डेंगू से बचे हुए मरीजों में प्लास्मोडियम विवैक्स मलेरिया के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट्स ) कम होने के मामले सामने आए हैं। एम्स में डॉ. यशिक बंसल, डॉ. विनोद मौर्य, डॉ. निधिमा अग्रवाल, डॉ. विभोर टाक, डॉ. विजयलक्ष्मी नाग, डॉ. अभिषेक पुरोहित, डॉ. अखिल धनेश गोयल, डॉ. गोपाल कृष्ण बोहरा और डॉ. कुलदीपसिंह ने यह अध्ययन किया है।
सवा सौ ज्यादा मरीजों पर स्टडी
एम्स के चिकित्सकों ने 130 मरीजों पर अध्ययन किया। अध्ययन में सामने आया कि 118 रोगी प्लास्मोडियम विवैक्स मलेरिया ग्रसित हुए। अध्ययन में पता चला कि पीवी मलेरिया में प्लेटलेट्स 72 हजार 6 सौ थी और पीएफ मलेरिया में 48 हजार 5 सौ प्लेटलेट्स रोगियों में नजर आई। एम्स के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. विभोर टाक बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान की शुष्क जलवायु मलेरिया के संचरण के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण हैं। यहां 90 फीसदी मलेरिया प्लास्मोडियम विवैक्स के होते है। मरीजों को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया होता है, जो भी सबसे खतरनाक प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम की तरह प्लेटलेट्स गिराता है।
एम्स के चिकित्सकों ने 130 मरीजों पर अध्ययन किया। अध्ययन में सामने आया कि 118 रोगी प्लास्मोडियम विवैक्स मलेरिया ग्रसित हुए। अध्ययन में पता चला कि पीवी मलेरिया में प्लेटलेट्स 72 हजार 6 सौ थी और पीएफ मलेरिया में 48 हजार 5 सौ प्लेटलेट्स रोगियों में नजर आई। एम्स के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. विभोर टाक बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान की शुष्क जलवायु मलेरिया के संचरण के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण हैं। यहां 90 फीसदी मलेरिया प्लास्मोडियम विवैक्स के होते है। मरीजों को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया होता है, जो भी सबसे खतरनाक प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम की तरह प्लेटलेट्स गिराता है।
जोधपुर फिर भी सुरक्षित अध्ययन करने वाले चिकित्सकों का कहना है कि कम बारिश होने के कारण मलेरिया के कई प्रकार जोधपुर में नहीं दिखते। यहां ज्यादातर मामले कम खतरनाक माने जाने वाले पीवी मलेरिया के आते हैं, लेकिन इसके डाइग्नोस होने के बावजूद कई मरीजों में प्लेटलेट्स गिरना चिंताजनक है। हालांकि कई प्रकार के वायरल में भी प्लेटलेट्स गिरना आम है।
मलेरिया को हल्के में न लें
मलेरिया को हल्के में न लें
चिकित्सकों के अनुसार मलेरिया बीमारी भी जानलेवा हो सकती है। इसी कारण मरीज केवल डेंगू टेस्ट करवाकर ही इतिश्री न कर लें। पीएफ के अलावा पीवी मलेरिया भी कई रोगियों में घातक देखा गया है। ऐसे लोग समय पर अस्पताल न पहुंचे तो जान भी जा सकती है।
नम्बर गेम डेंगू साल—कुल मामले
2019—-1227 2020—-9
2021—-31 (15 सितंबर तक) मलेरिया 2019—-132
2020—-15 2021—5 चिकनगुनिया
2019—-6 2020—-4
2021 —-2
2019—-1227 2020—-9
2021—-31 (15 सितंबर तक) मलेरिया 2019—-132
2020—-15 2021—5 चिकनगुनिया
2019—-6 2020—-4
2021 —-2