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मेडिकल फील्ड में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की एंट्री, इन बीमारियों को करेगा खत्म, दुबई से है कनेक्शन

चिकित्सा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का उपयोग कई बड़े बदलाव करेगा। इसकी शुरुआत जोधपुर से हो चुकी है। टीबी और निमोनिया जैसे रोगों की सटीक जानकारी, रोग की पहचान और उसका इलाज अब एआइ तकनीक से ही बताया जाएगा।

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चिकित्सा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का उपयोग कई बड़े बदलाव करेगा। इसकी शुरुआत जोधपुर से हो चुकी है। टीबी और निमोनिया जैसे रोगों की सटीक जानकारी, रोग की पहचान और उसका इलाज अब एआइ तकनीक से ही बताया जाएगा। इस पर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, एम्स जोधपुर व आइसीएमआर मिलकर रिसर्च कर रहे हैं। श्वास रोगों में इस प्रकार का यह पहला रिसर्च है, जिसमें 7 हजार लोगों के 93 हजार चेस्ट एक्सरे फिल्म एआइ उपयोग के लिए काम में लिए जा रहे हैं। अनुसंधान का परिणाम आने में छह माह का समय लग सकता है। इस पूरी प्रक्रिया का दुबई में हुई कॉफ्रेंस ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन हेल्थ केयर एप्लीकेशन में प्रजेंटेशन दिया गया।

सिलिकोसिस बीमारी की एआइ से ही स्क्रीनिंग
इसके अलावा एआइ तकनीक से सिलिकोसिस की पहचान और उसका इलाज करने वाला राजस्थान पहला प्रदेश बन गया है। जयपुर व जोधपुर में किसी भी मरीज का एक्सरे व उसकी रिपोर्ट का आकलन पूरी तरह से एआइ पर ही हो रहा है। इसके लिए सिलिकोसिस सॉफ्टवेयर भी लॉन्च किया गया है। राजस्थान के जोधपुर, धौलपुर, करौली, सिरोही जैसे जिलों में जहां खनन ज्यादा होता है, वहां सिलिकोसिस मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। इन मरीजों की जांच के बाद इनको सर्टिफिकेट भी जारी होते हैं। इस आधार पर इनको सरकारी सहायता मिलती है। अब यह जांच और प्रक्रिया पूरी तरह से एआइ आधारित होगी।

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दुबई में जाकर किया बदलाव का अनुभव
आने वाले छह माह में हम श्वांस रोग को लेकर चल रही एआइ रिसर्च का परिणाम देख सकेंगे। मैंने खुद दुबई में चिकित्सा क्षेत्र में एआइ के उपयोग से हो रहे बदलाव को अनुभव किया है। सिलिकोसिस पीड़ितों की पहचान तो इस तकनीक से शत-प्रतिशत हो रही है और भी कई फायदे होंगे।
- डॉ. सीआर चौधरी, अधीक्षक, कमला नेहरू चेस्ट हॉस्पिटल, जोधपुर

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