केंद्रीय विवि अजमेर के पर्यावरण विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ लक्ष्मीकांत शर्मा और उनके स्कोलर रजीत गुप्ता ने राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के 14 स्थानों से सागवान के नमूने लिए और इन पर 3-पीजी मॉडल लागू किया। वाष्पोत्सर्जन, तापमान, आद्र्रता, प्रकाश संश्लेषण व वृद्धि सहित करीब 50 फिजिकल पैरोमीटर पर सागवान का अध्ययन किया गया। अध्ययन के अनुसार 3-पीजी मॉडल लागू करने पर सागवान की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।
कनाडा़ के ब्रिटिश कोलम्बिया विवि के प्रो निकालेस सी बूबस और प्रो वारेन ने 1997 में यह मॉडल विकसित किया, जिसमें करीब 50 से 60 फिजिकल पैरामीटर है। जलवायु परिवर्तन, जंगलों की आग, शहरीकरण व जनसंख्या वृद्धि का का दबाव जैसे कारकों से खत्म हो रही वन सम्पदा के लिए यह मॉडल है जिससे भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकता है। केंद्रीय विवि अजमेर की ओर इकोलॉजिकल मॉडल के लिए किए गए वल्र्ड रिव्यू को ब्रिटिश कोलम्बिया विवि ने अपनी वेबसाइट पर स्थान दिया है। भारत में वर्तमान में 21 प्रतिशत वन है। 3-पीजी की सहायता से 33 प्रतिशत भू-भाग पर वन क्षेत्र का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
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-डॉ लक्ष्मीकांत शर्मा, पर्यावरण विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय, बांदरसिंदरी (अजमेर)