पश्चिमी हवाएं अफ्रीका और खाड़ी देशों से होते हुए टिड्डी भारत तक पहुंचा देती है, लेकिन इस साल भारतीय उपमहाद्वीप में पश्चिमी हवाएं बहुत कम चली। लंबे समय से हवाओं की दिशा पश्चिमी नहीं है। इस कारण टिड्डी का खतरा भी टल गया। मानसून के थार में ऑनसेट होने पर भी आसपास टिड्डी नहीं होने से इसका जोखिम नहीं रहेगा।
टिड्डी से निपटने के लिए भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों की बैठकेंआजादी के बाद से ही निरंतर बनी हुई है। कोरोना से पहले भारत और पाकिस्तान के अधिकारी सीमा पार करके एक दूसरे के देश में स्थित मुनाबाव व खोखरापार में बैठकें करते आए हैं। मंगलवार को हुई बैठक में भारत की ओर से कृषि मंत्रालय में पादप संगरोध विभाग के संयुक्त निदेशक एन. सत्यनारायण, टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर के सहायक निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार और पाकिस्तान की ओर से वहां के कृषि विभाग के अधिकारी मोहम्मद तारीख शामिल हुए।