
जोधपुर में नाममात्र कलाकार ही मूर्तियों के निर्माण में जुटे
NAND KISHORE SARASWAT
जोधपुर. प्रथम पूज्य भगवान गणेश के जन्मोत्सव के लिए मिट्टी की गणपति प्रतिमाओं के निर्माताओं पर इस साल भी ग़णपति उत्सव पर कोविड गाइडलाइन का साया मंडराने से नाम मात्र कलाकार ही मूर्तियों का निर्माण कर रहे है। गत वर्ष कोरोना के कारण मूर्तियां नहीं बिकने के कारण आर्थिक संकट झेल चुके मूर्तिकार इस बार सीमित मूर्तियों को आकार देने में जुटे है। शहर में नाम मात्र मूर्तिकार गुजरात से माटी मंगवाकर इॅको फ्रेंडली गणपति प्रतिमाओं का निर्माण कार्य कर रहे है। धार्मिक उत्सवों पर प्रतिबंध के चलते अधिकांश बंगाली कारीगरों ने मूर्ति निर्माण का काम तक बंद कर दिया हैं। हर साल अनंत चतुर्दशी को गणपति महोत्सव में शहर के हर गली मोहल्ले कॉलोनियों और विभिन्न समाज की ओर से गणपति उत्सव मनाया जाता है। इस बार भी गणपति उत्सव पर कोरोना गाइडलाइन का साया रहेगा।
मूर्तिकार कबाड़ी भी बने और सब्जी भी बेची
बचपन से ही गणपति की मूर्तियां बनाने वाले इसाइयों के कब्रिस्तान क्षेत्र निवासी 32 वर्षीय सुरेश बावरी ने बताया कि पहले प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियों के प्रतिबंध के कारण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। ऐसे में हमने इॅको फ्रेंडली मूर्तियां बनानी शुरू की थी। लेकिन पिछले साल कोरोना के कारण गणपति की मूर्तियां बिलकुल भी नहीं बिक सकी। ऐसे में पूरे परिवार का लालन पोषण करने के लिए ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा। लगातार कर्ज बढऩे से जमीन भी गिरवी रखनी पड़ी । ऐसे में मजबूरन कबाड़ी का व्यवसाय करना पड़ा और कोरोनाकाल में आठ महीनों तक ठेलों पर सब्जी भी बेची। सरकार से आज तक एक धेला भी मदद नहीं मिली है। पिता बालाराम से मूर्ति कला सीखने वाले सुरेश ने बताया कि मूर्ति निर्माण कार्य से उनका छोटा भाई और चाचा भी जुड़े है। गणपति पूजन के लिए इस बार छोटी मूर्तियों की मांग नहीं हुई तो फिर से आर्थिक संकट झेलना पड़ेगा। मूर्तिकार सुरेश को उम्मीद है गणपति बप्पा इस बार उनकी जरूर सुनेंगे।
Published on:
08 Aug 2021 11:19 am
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
