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पॉलीथिन : धरती पर बढ़ा रहा प्रदूषण, मानव व पशुधन के स्वास्थ्य पर भी संकट

locationजोधपुरPublished: May 05, 2019 12:38:24 am

Submitted by:

Manish kumar Panwar

फलोदी. शहर के डंपिंग स्टेशन हो या फिर गली-मौहल्लों के कचरा संग्रहण स्थल। सभी जगह कचरे का अंबार नजर आता है।

Garbage collection site

पॉलीथिन : धरती पर बढ़ा रहा प्रदूषण, मानव व पशुधन के स्वास्थ्य पर भी संकट

फलोदी. शहर के डंपिंग स्टेशन हो या फिर गली-मौहल्लों के कचरा संग्रहण स्थल। सभी जगह कचरे का अंबार नजर आता है। कचरे में सर्वाधिक मात्रा पॉलीथिन बैग्स की होती है। पॉलीथिन के लगातार बढ़ रहे उपयोग से जहां धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, वहीं यह पॉलिथिन गौवंश की जिंदगी लीलने लगा है। आज पॉलीथिन व प्लास्टिक ने हमारे दैनिक जीवन में जगह बना ली है। लिहाजा बाजार से दूध लाना हो या सब्जी, राशन का सामान लाना हो या अन्य खाद्य सामग्री। हमारी खाद्य सामग्री, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सहित हर चीज पॉलिथिन में आती है। उचित निस्तारण के अभाव में जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता रहा है। वहीं मानव व पशुओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने प्रदेश को पॉलीथिन व प्लास्टिक मुक्त करने के उद्देश्य से 21 जुलाई 2010 से पॉलीथिन एवं प्लास्टिक कैरी बैग निर्माण, भण्डारण, बेचान, स्थानांतरण और आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद पॉलीथिन व प्लास्टिक कैरीबैग का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है और जिम्मेदार मूकदर्शक बने हैं।
डंपिंग स्टेशन पर कचरे से ज्यादा दिखता है पॉलीथिन

शहर में काफी प्लास्टिक कैरी बैग का प्रयोग और आयात हो रहा है। प्रशासन व पालिका प्रशासन हाथ पर हाथ धरे है। शहर में पॉलीथिन एवं प्लास्टिक कैरी बैग का प्रयोग कितना हो रहा है इसका अंदाजा पालिका द्वारा बनाए डंपिंग स्टेशन व कूड़ा फेंकने की अन्य जगहों से लगा सकते हैं। जहां कचरे में अधिकांश मात्रा प्लास्टिक कैरी बैग की होती है। गौरतलब है कि प्रतिदिन शहर से करीब ३० टन कचरा निकलता है। इस कचरे में प्रतिदिन ३ टै्रक्टर ट्रॉली प्लास्टिक होता है।
प्रतिबंध की उड़ रही धज्जियां राज्य सरकार ने प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त करने के उद्देश्य से 21 जुलाई 2010 से पॉलीथिन एवं प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, भण्डारण, बेचान, स्थानांतरण और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्लास्टिक कैरी बैग निर्माण, भण्डारण, बेचान, स्थानांतरण और आयात करने पर एक लाख का जुर्माना एवं पांच वर्ष के कारावास का प्रावधान भी है। (निसं)
इन्होंने कहा
पॉलिथिन पशुओं के लिए जहर समान है जो शरीर में प्रवेश के बाद स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह पॉलिथिन पशुओं के शरीर में जमा हो जाता है। जिससे पशुओं की भूख कम हो जाती है। इससे पशु कमजोर होकर मौत का शिकार हो जाते हैं।
डॉ. भागीरथ सोनी
नोडल अधिकारी, पशुपालन विभाग, फलोदी

पॉलीथिन एवं प्लास्टिक बैग का उपयोग बंद करने के प्रति लोगों को जागरूक होना होगा। राज्य सरकार को भी प्रतिबंध को और सख्त करना होगा।
रविन्द्र जैन
मानद जिला पशु कल्याण अधिकारी
भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, जोधपुर।

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