शहर की सरदारपुरा विधानसभा सीट पिछले ढाई दशक से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कब्जे में है। यहां तक कि पिछले 25 वर्षों के दौरान प्रदेश में दो दफा भाजपा की सरकार भी बनी। जोधपुर जिले की सीटें भी भाजपा ने कब्जा ली, लेकिन सरदारपुरा की जनता ने गहलोत पर ही भरोसा कायम रखा। मैं सीधे ही सरदारपुरा क्षेत्र जा पहुंचा। सरदारपुरा विधानसभा सीट के तहत शहर का मुख्य इलाका मण्डोर, बीजेएस, सर्किट हाउस जैसे शहर के हिस्से आते हैं। साफ-सुथरी सडक़ें, व्यवस्थित ट्रैफिक, सुनियोजित बसावट देख कर किसी को भी समझ आ जाएगा, कि यह मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र है।
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आधे से ज्यादा पैसा सरदारपुरा पर खर्च
जोधपुर शहर का इलाका तीन विधानसभा सीटों में बंटा हुआ है। जोधपुर शहर, सूरसागर और सरदारपुरा। सरदारपुरा कितना असरदार है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जोधपुर विकास प्राधिकारण का आधे से ज्यादा पैसा सिर्फ सरदारपुरा के विकास पर खर्च होता है। यहां बजार में खरीदारी करते युवा राजेश सिंह से मुलाकात हुई तो वे बाले, तमाम नए इंस्टीट्यूट इसी इलाके में आ रहे हैं। यहां एम्स, एनआईएफडी, एफडीडीआई, मारवाड़ मेडिकल यूनिवर्सिटी, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय जैसे संस्थान हैं, जो आधुनिक जोधपुर की पहचान हैं। इतना ही नहीं गल्र्स कॉलेज, इंग्लिश मीडियम स्कूल, इनडोर स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स, मण्डोर में लाइट एण्ड साउण्ड शो, मण्डोर गार्डन में चौपाटी, एम्यूजमेंट पार्क पर करोड़ों रुपए की लागत से विकास काम करवाए जा रहे हैं।
वोट पार्टी को नहीं नेता को
ज्यादातर लोगों का कहना था कि उन्हें इस बात का गर्व है कि मुख्यमंत्री उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। शादी की खरीदारी करने आईं तीजन बाई का कहना था कि यहां इतना काम होने के बाद भला स्थानीय जनता का समर्थन क्यों नहीं मिलेगा? बंधेज के कारीगर यादराम ने कहा कि इस इलाके में वोट किसी पार्टी को नहीं, नेता को मिलते हैं। शहर के होटल व्यवसायी गोपाल रावत से क्षेत्र के विकास पर बात की तो वे बाले, हमें इस बात का गर्व है कि मुख्यमंत्री हमारे प्रतिनिधि हैं।