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Rajasthan Election 2023: भाजपा-कांग्रेस के लिए आसान नहीं राह, दोनों को सता रहा बगावत और भितरघात से हार का डर

Rajasthan Election 2023: सियासत की बिसात पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने कई पत्ते खोल दिए हैं, लेकिन दोनों ही पार्टियों के लिए अभी कुछ सीटों पर पेंच फंसा हुआ है।

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rajasthan election 2023: सियासत की बिसात पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने कई पत्ते खोल दिए हैं, लेकिन दोनों ही पार्टियों के लिए अभी कुछ सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस में जिस सीट के लिए सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह सूरसागर है, तो वहीं भाजपा ने शेरगढ़ को छोड़ कर सभी सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। इन दोनों सीटों के अलावा जिन सीटों पर प्रत्याशी उतरे हैं, वहां भी भितरघात का डर है।

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शेरगढ़: अब तक दोनों ही पार्टियां यहां कोई प्रत्याशी नहीं उतार पाई हैं। भाजपा में बाबूसिंह राठौड़ की दावेदारी रोकने के बाद अब उन्होंने रविवार को कार्यकर्ताओं की एक बड़ी सभा भी बुलाई है। ऐसे में माना जा रहा है कि उनको टिकट नहीं मिलने पर बगावत का रास्ता भी अपना सकते हैं। कांग्रेस में भी सर्वे के अनुरूप प्रत्याशी की परफार्मेंस नहीं आने के कारण टिकट रुका हुआ है।

सूरसागर: भाजपा ने देवेन्द्र जोशी को उतार कर जातिगत समीकरण तो नहीं बदले हैं, लेकिन कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पा रही है कि फलोदी और सूरसागर में से ब्राह्मण कार्ड कहां खेला जाए। सूरसागर सीट पर जो तीन नाम पैनल में गए हुए हैं वे सभी मुस्लिम समुदाय से हैं, लेकिन उन तीन नामों में से भी किसी एक पर एकराय नहीं बन पा रही है। यहां कांग्रेस को भितरघात का डर है।

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भाजपा ने यहां झेला था भितरघात

- जोधपुर शहर : इस सीट पर वहीं पिछले वाले प्रतिद्वंदी आमने-सामने हैं। पिछली बार भाजपा को यहां काफी भितरघात देखने को मिली थी। इसका डर इस बार भी बना हुआ है। कांग्रेस के एक नजदीक अजय त्रिवेदी रालोपा का दामन थाम कर मैदान में उतर चुके हैं।

- लूणी : यहां भी भाजपा ने पिछली बार भितरघात झेला। इसके अलावा आरएलपी और बसपा के दो प्रत्याशियो ने भी सेंध लगाई। इस बार भी कांग्रेस व भाजपा से वही पुराने प्रत्याशी आमने-सामने हैं। वहीं समीकरण फिर सामने आ सकते हैं।

- लोहावट : यहां पिछली बार भाजपा ने भितरघात झेला था और इसी कारण सीट गंवानी पड़ी थी। भाजपा ने अपना टिकट रिपीट किया है, लेकिन कांग्रेस अभी तक एंटीइनकमबेंसी के डर से टिकट घोषित नहीं कर पाई है। भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को पहचान कर इस पर काम करना होगा।

कांग्रेस को यहां डर
- फलोदी, लोहावट, शेरगढ़ और सूरसागर इन चारों सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं करने के पीछे डर भी इसी बात का है कि कहीं बगावत के सुर न उठे। हर जगह कांग्रेस ने दो-दो जनों का पैनल तैयार किया। दोनों ही मजबूत दावेदार हैं। इनमें से दो जगह विधायक और दो जगह पूर्व प्रत्याशियों के टिकट रोके गए हैं।

मारवाड़ में यहां भी उठे बगावत के सुर
- बाड़मेर जिले के सिवाणा विधानसभा सीट से सुनील परिहार ने बगावत का बिगुल बजाया है। उन्हें टिकट नहीं मिला तो कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई, हालांकि कांग्रेस ने उन्हें जोनल प्रभारी बना दिया गया।
- पाली जिले के सुमेरपुर सीट से पूर्व विधायक मदन राठौड़ को भी भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर बगावत के संकेत दे दिए हैं।