
जोधपुर। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं की अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं। गाहे-बगाहे उनके भी मुख्यमंत्री बनने की चर्चा का बाजार गर्म रहता है। भाजपा की अब तक दो सूचियां आ चुकी हैं। दोनों में ही उनका नाम नहीं है। जबकि बाकी सभी आला नेताओं को पार्टी हरी झंडी दिखा चुकी है। गजेंद्र सिंह की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सरदारपुरा से चुनाव लड़ने की चर्चाओं ने भी खूब सुर्खियां बटोरी है। पर जमीनी हकीकत यह है कि वे यहां से लड़ने में आना-कानी कर रहे हैं। शेखावत अच्छी तरह से गहलोत की जीत के फार्मूले से परिचित हैं। मारवाड़ की सीटों पर प्रत्याशियोंं के चयन में अहम भूमिका निभाने वाले शेखावत खुद अपने लिए अब तक सीट का चयन नहीं कर पाए हैं। अपने ही लोकसभा क्षेत्र की राजपूत बाहुल्य वाली सीटों पर भी उनके समीकरण अब तक सेट नहीं हुए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार शेखावत के कारण ही जोधपुर की बची हुई 8 में से 4 सीटें जोधपुर शहर, लोहवट, शेरगढ़ और सरदारपुरा रुकी पड़ी हैं।
सबसे पहले पोकरण पर नजर
यह चर्चा जोरों पर रही कि शेखावत अपने लोकसभा क्षेत्र की पोकरण सीट से चुनावी मैदान में होंगे। और इसके लिए ग्राउंड सर्वे भी हुए। यहां फिलहाल कांग्रेस के सालेह मोहम्मद विधायक हैं। जो कि महंत प्रतापपुरी को हरा कर विधानसभा पहुंचे। 2013 में इस सीट पर शैतानसिंह विधायक रह चुके हैं। इसलिए यह राजपूत समाज के लिए सेफ सीट है, लेकिन यहां भी शेखावत फिट नहीं हुए और महंत प्रतापतपुरी का टिकट रिपीट कर दिया गया है।
शेरगढ़ में जातिगत फिट, मगर व्यक्तिगत समीकरण नहीं
शेरगढ़ विधानसभा सीट राजपूत बाहुल्य है। यहां पिछले 70 साल से आमने-सामने राजपूत उम्मीदवार ही उतरते आ रहे हैं, लेकिन यहां बाबूसिंह राठौड़ जो कि भाजपा के पूर्व विधायक हैं, उनसे अदावत भी जगजाहिर है। ऐसे में यहां उतरने पर काफी नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। यह सीट भी फिलहाल भाजपा ने होल्ड पर रखी है।
लोहावट पर नहीं जमी बात
लोहावट भी कुछ हद तक राजपूत बाहुल्य सीट मानी जाती है। यहां 2008 और 2013 लगातार में दो बार गजेन्द्र सिंह खींवसर जीते। पिछली बार किशनाराम बिश्नोई से हार हुई थी। यह भी शेखावत के लिए सेफ सीट हो सकती थी। इसके लिए भी समीकरण बैठाए गए, सर्वे भी हुए। लेकिन यहां खींवसर की पकड़ मजबूत साबित हुई और उनसे अदावत लेकर राजपूत समाज की बड़ी नाराजगी झेलनी पड़ सकती थी। यही कारण है कि इस सीट को भी होल्ड पर रखा गया है।
अब जोधपुर शहर पर नजर
कई बड़े समीकरण जब सेट नहीं हुए तो अब नजरें जोधपुर शहर की सीट पर है। ओबीसी, ब्राह्मण और वैश्य बाहुल्य वाली इस सीट पर पिछले कई सालों से ब्राह्मण और वैश्य समाज के लोग मैदान में उतरते आए हैं। लेकिन कांग्रेस ने पिछली बार यहां मनीषा पंवार को उतार कर बड़ा ओबीसी कार्ड खेला। भाजपा भी अपने समीकरण में यहां ओबीसी कार्ड खेलना चाहती है। कई युवा व अनुभवी चेहरे यहां सर्वे में फिट बैठते हैं। लेकिन अब शेखावत की नजर इस सीट पर होने के कारण होल्ड पर रखा गया है।
सरदारपुरा से उतारना चाहता थी पार्टी
पार्टी शेखावत को सरदारपुरा सीट से उतार कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फंसाने की रणनीति बना चुकी थी, लेकिन इस पर शेखावत की सहमति नहीं हुई। वे खुद गहलोत से आमने-सामने की टक्कर का जोखिम नहीं लेना चाहते। पिछले पिछले पांच चुनाव यहां गहलोत आसानी से जीत कर आ रहे हैं। ऐसे में यह सीट निकालना चुनौती हो सकती है।
Published on:
24 Oct 2023 08:22 am
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