रात भर जाग कर पेंट करते थे
एक समय था जब पेंटर घंटों पेंट कर के पोस्टर और बैनर बनाते थे। उन दिनों पेंटर आदि रात भर जाग कर चुनावी पेंटिंग बनाते थे। तब जोधपुर शहर में छापेखाने में पेम्पलेट छपते थे। यही नहीं, सरदार जी की सोजती गेट वाली दुकान से फोटो के लिए ब्लॉक बनाया जाता था। तब कार्यकर्ता स्टेंसिल लेकर निकलते थे और रात भर दीवारों पर उसका पेंट भरते थे, तब पता चलता था कि इन साहब को चुनाव का टिकट मिला है।
फोटो बनाने में पूरा दिन लग जाता था : हुसैन पुराने दिनों के चुनावों के दौरान पेंटरों को रोजगार मिलता था। उनकी अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी। उस काम में आमदनी और रोमांच दोनों से खुशी मिलती थी कि लोकतंत्र के उत्सव में हम भी थोड़ा सा योगदान दे रहे हैं। पेंटर जिगर हुसैन ने पत्रिका से मुलाकात में यह बात कही। उन्होंने बताया कि चुनावों के दौरान ये बैनर पोस्टर सन २००४ तक तो लिखे जाते थे, लेकिन 2009 से चुनाव के दौरान इनका चलन खत्म हो गया। बैनर हाथ से बनाते थे। ये कपड़े के बैनर होते थे और उस पर लकड़ी की कलम से लिखते थे। गिलहरी के बाल की कलम से कपड़े पर लिखते थे। ये बैनर लकड़ी के फ्रेम और लट्ठे के कपड़े से बनातेे थे। बैनर बनाने में आधा या एक घंटा लगता था। छोटा बैनर दो मीटर का होता था और बड़ा होर्डिंग 30 गुणा 10 का होता था। मैं भी बैनर लिखता था।