यहां जोधपुर में भी हमारे पड़ौस में रहने वाली कौशल्या मेरे बच्चों को भाई मानती है।रिश्ते बनाए नहीं जाते बस अपने आप बन गए। आज परवेज और अरमान के प्यारी बहन है जो रक्षा बंधन के दिन रक्षा सूत्र बांधकर रिश्तों को आगे बढ़ा रही है। कौशल्या की भुआ समंदर कँवर ने बताया कि कौशल्या 6 महीने की थी तब उसके पिता देवलोक हो गए। वो बड़ी हुई तो उसे पड़ौसी भी परिवार लगा। दो भाई मिले और आज तक रक्षा बंधन का त्यौहार इनके लिए खास बनता रहा है। इस मोहल्ले के लोगो ने बताया कि पद्मावती ने हुमायूं को रक्षा कवच भेजा और हुमायु दौड़ा दौड़ा मेवाड़ पहुंचा, भाई बहन की इस परंपरा ने हमें भी ऐसे रिश्तों में बांधकर रखा हैं जहां हम सिर्फ भाईचारे की बात ही जानते हैं ।
भाई-बहन के स्नेह और विश्वास का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन सूर्यनगरी में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सुबह बारिश के कारण हालांकि बहनों को कुछ परेशानी जरूर हुई लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं रही। सूर्य उदय से ही शुभ मुहूर्त के कारण भाइयों की कलाइयों पर स्नेह की डोर बंधनी शुरू हो गई थी जो लगातार दिन भर जारी है। देशभक्ति से ओतप्रोत माहौल में बहनों ने आज राजस्थान पत्रिका के महा अभियान हरियालो राजस्थान के तहत की जगह जगह पर पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर पर्यावरण संरक्षण का भी संकल्प लिया।
केंद्रीय कारागृह के बाहर भी बहने अपने बंदी भाइयो के लिए रक्षा सूत्र लेकर पहुंची लेकिन कई बहनों को निराश भी होना पड़ा। इनमें आसाराम की बहन को भी रक्षा सूत्र बांधने की अनुमति नहीं मिलने से निराशा हुई। भद्रा रहित दिवस होने के कारण आज बहनों को कम भागदौड़ करनी पड़ी। रोडवेज बसों में आज मुफ्त यात्रा के कारण बसों में भारी भीड़ रही।