scriptविदेशी बाजार में लाखों रुपए में बिकता है दुर्लभ सर्प! | Rare snake is sold in foreign market for millions of rupees | Patrika News

विदेशी बाजार में लाखों रुपए में बिकता है दुर्लभ सर्प!

locationजोधपुरPublished: Oct 19, 2020 12:52:52 pm

Submitted by:

pawan pareek

राजस्थान के थार मरूस्थल की सबसे बड़ी खासियतों में एक यहां पाए जाने वाला दोमुंहा सांप है। इसे वैज्ञानिक भाषा में रेड सेंड बोआ स्नेक नाम से भी जाना जाता है।

विदेशी बाजार में लाखों रुपए में बिकता है दुर्लभ सर्प!

विदेशी बाजार में लाखों रुपए में बिकता है दुर्लभ सर्प!

बेलवा/जोधपुर. राजस्थान के थार मरूस्थल की सबसे बड़ी खासियतों में एक यहां पाए जाने वाला दोमुंहा सांप है। इसे वैज्ञानिक भाषा में रेड सेंड बोआ स्नेक नाम से भी जाना जाता है। इस सांप से जुड़ी कुछ किंवदंतियों के चलते इस सांप की न केवल स्मगलिंग की जाती है वरन इसे मारकर खाया भी जाता है।

इस सांप के दो मुंह होते हैं जिसके कारण इसका नाम दोमुंहा सांप पड़ा। वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है बल्कि इसकी पूंछ ही मुंह जैसी दिखाई देती है। यह सांप खतरा अनुभव होने पर अपने सिर के साथ-साथ अपनी पूंछ को भी हवा में खड़ा कर लेता है। जिससे देखने वालों को यही लगता है कि इस सांप के दो मुंह हैं और सांप दोनों ही मुंह से कार्य कर सकता है।


खाड़ी देशों में माना जाता है कि रेड सैंड बोआ नामक सांप के मांस तथा रक्त का सेवन करने से व्यक्ति की सभी बीमारियां ठीक हो जाती हैं। साथ ही व्यक्ति मृत्यु तक जवान रहता है। वहीं कुछ कबीलों में चल रही मान्यताओं के अनुसार रेड सेंड बोआ सांप को विशेष क्रियाओं द्वारा अभिमंत्रित कर खाने से आदमी को सुपरनेचुरल शक्तियां मिलती हैं। चीनी मान्यताओं के अनुसार रेड सेंड बोआ सांप को खाने से सेक्स पावर बढ़ती है। साथ ही इससे आदमी की शारीरिक शक्ति में भी जबरदस्त इजाफा होता है।

यह है वास्तविकता

रेड सेंड बोआ सांप ईरान, पाकिस्तान तथा भारत में पाया जाता है। यह भी अन्य सांपों की तरह एक जहरीला सांप होता है जो गिलहरी, सांडे, चूहे, कीड़े-मकोड़े तथा छोटे जानवरों को अपना शिकार बनाता है। यह आदमी से दूर ही रेतीली मिट्टी में रहना पसंद करता है।

दुर्लभ सांप की तस्करी

भारत ही नहीं अपितु विश्व के अनेक देशों में इस सांप से जुड़ी कई किंवदंतियां और अंधविश्वास फैला है जिससे इसकी जान खतरे में रहती है। कहा जाता है कि अमरीकन बाजारों में इस सांप की भारी मांग है और वहां पर इसकी दो से तीन हजार डॉलर तक मिल जाती है। इसी वजह से इस सांप की बड़े पैमाने पर स्मगलिंग भी की जाती है। सैंड बोआ (दोमुहां) सांप का बड़ी मात्रा में शिकार किया जाता है, जिससे यह सांप विलुप्ति के कगार पर पहुंच गया है।

संरक्षित श्रेणी में है सैंड बोआ

भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत श्रेणी 4 में मरुस्थलीय रेतीले धोरों में रहने वाला दुर्लभ सांप सैंड बोआ संरक्षित श्रेणी में है। इसके शिकार पर 3 से 7 साल तक की कड़ी सजा का प्रावधान है।

कट्टे में बंद मिला सैंड बोआ

केतु मदा गांव की सरहद में दुर्लभ सैंड बोआ सर्प के कट्टे में बन्द होने की सूचना मिली। शिकार की आशंका से बालेसर वन्य विभाग रेंजर महेंद्र चौधरी ने कार्मिक कैलाशदान चारण के साथ टीम को मौके पर भेजा। घटनास्थल पर या ग्रामीणों से शिकारी की पहचान नहीं हो पाई है, ग्रामीणों ने नवरात्र के दिन सड़क मार्ग के पास लावारिस कट्टे में सांप डाला हुआ पाया। सांप के शिकार या तस्करी करने की पुष्टि नहीं हो सकी है। हालांकि दुर्लभ प्रजाति के सांप सैंड बोआ को कब्जे लेकर क्षेत्र के रेतीले धोरों में छोड़ दिया।

इनका कहना है

जादू टोना व अन्य तांत्रिक विद्याओं में उपयोग लेने की मान्यताओं के कारण रेड सैंड बोआ का विदेशी बाजार में अवैध रूप से तस्करी करने से व्यापार बढ़ा है। प्रतिबंधित प्रजाति के इस सर्प को पकडऩा, पालना या खरीद या बेचान कानूनी अपराध है। जिसमें कठोर कारावास के साथ आर्थिक जुर्माना भी भरना पड़ता है।

-डॉ. साकेत बडोला, निदेशक, वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क (ट्राफिक) इन्डिया।

भारत में पिछले 7-8 वर्षों में रेड सैंड बोआ की तस्करी बढ़ी है। कई मान्यताओं व किवदंतियों के चलते महंगे दामों में खरीद होने से लोग इसकी तस्करी कर रहे हैं। गत वर्षों में जोधपुर सहित देशभर से भी सांप की तस्करी के कई मामले सामने आए हैं। जिससे दुर्लभ सांप का अस्तित्व संकट में है।

-डॉ. सुमित डूकिया, वन्यजीव विशेषज्ञ एवं सहायक आचार्य, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो