– आरपीएससी ने सन् 2016 में आरएएस के 725 पदों के लिए नियुक्तियां निकाली। राज्य सरकार ने बिना सोचे-समझे इसमें एसबीसी वर्ग को 5 फीसदी आरक्षण देकर कुल आरक्षण सीमा को 50 से बढ़ाकर 54 फीसदी कर दिया।
– आरएएस प्री का परिणाम आने के बाद कोर्ट ने इस आरक्षण को खारिज कर दिया। सामान्य वर्ग के 19 अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में गए। इनके माक्र्स आरएएस प्री के कटऑफ माक्र्स के बराबर थे। एसबीसी आरक्षण रद्द करने से उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए क्वालिफाइ होने की उम्मीद जगी थी।
– एक अभ्यर्थी की याचिका पर आरपीएससी अब 145 अभ्यर्थियों की अलग से मुख्य परीक्षा व साक्षात्कार कराएगी।
– उधर विभागीय कर्मचारियों की याचिका पर 9 पदों के लिए 135 विभागीय कर्मचारियों की भी मुख्य परीक्षा लेगी। कुल मिलाकर 280 अभ्यर्थियों की मुख्य परीक्षा ली जाएगी।
– उधर एक अन्य मामले में कोर्ट ने आरपीएससी द्वारा आरएएस-प्री में 15 गुणा से अधिक ओबीसी अभ्यर्थियों के पास करने पर रोक लगाकर अतिरिक्त अभ्यर्थियों को आरएएस-2016 से बाहर कर फिर से नया रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है। अब कार्मिक विभाग इस मामले को लेकर आरएएस-2016 की अभ्यर्थियों की नियुक्ति को अटकाए बैठा है जबकि इसी आधार पर पटवारी व लेक्चर भर्ती में नियुक्ति मिल चुकी है।
भवानीसिंह इंदा ने आरएएस में चयन होने पर मार्च 2018 में ओएनजीसी में 1.50 लाख रुपए महीने की नौकरी छोड़ दी। श्योराम और देवकिशन भी केंद्र सरकार के अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की नौकरी छोडकऱ घर बैठे हैं। कई अभ्यर्थियों ने आरएएस-2018 की गत 5 अगस्त को हुई प्री परीक्षा दी है।
हमारा परिणाम आए एक साल हो गया है। हमें जितनी खुशी परिणाम के समय थी आज उससे कहीं अधिक दुख आज है। पता नहीं नियुक्ति कब मिलेगी। मैं फिलहाल सैकेण्ड ग्रेड टीचर हूं।