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बिलाड़ा : रेफरल नहीं यह है ‘रेफर’ चिकित्सालय

locationजोधपुरPublished: Sep 03, 2020 05:17:06 pm

Submitted by:

pawan pareek

बिलाड़ा (जोधपुर) . लाखों की लागत से बने रेफरल चिकित्सालय को बनाए हुए कई दशक बीत चुके हैं लेकिन 75 बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में वर्तमान में पीएचसी जितनी सुविधा भी नहीं है।

Referral hospital in Bilara

बिलाड़ा : रेफरल नहीं यह है ‘रेफर’ चिकित्सालय

बिलाड़ा (जोधपुर) . लाखों की लागत से बने रेफरल चिकित्सालय को बनाए हुए कई दशक बीत चुके हैं लेकिन 75 बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में वर्तमान में पीएचसी जितनी सुविधा भी नहीं है।
इस अस्पताल में न तो सोनोग्राफी सुविधा है और न ही एक्सरे करने वाले रेडियोग्राफर की। घटना, दुर्घटना, जैसे मामलों की एमएलसी भी यहां तैयार नहीं होती। यहां से सिर्फ रोगियों को रेफर किया जाता है।
बजट घोषणा में मुख्यमंत्री ने कस्बे के रेफरल चिकित्सालय को 50 बेड वाले अस्पताल से क्रमोन्नत कर 75 बेड का अस्पताल घोषित किया था लेकिन सुविधा रेफरल चिकित्सालय के समान भी नहीं है । कस्बे के लोगों ने जन सहयोग से 100 बेड की क्षमता का भवन निर्माण करवाया और यह उम्मीद लगाई कि इस चिकित्सालय के होने के बाद ना तो महिलाओं को प्रसव के लिए बाहर जाना पड़ेगा और न ही दुर्घटना में घायलों को रेफर किया जाएगा।
नब्बे की दशक में बनकर तैयार हुए श्री मरुधर केसरी रेफरल चिकित्सालय के लोकार्पण के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत,चिकित्सा मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी ने भाषण के दौरान यहां के लोगों को भरोसा दिया कि अब इस कस्बे के लोगों को किसी भी प्रकार की सुविधा से वंचित रहना नहीं पड़ेगा लेकिन वह आश्वासन सिर्फ आश्वासन ही रह गया।
न चिकित्सक न सुविधा

लगभग एक दशक पहले रेफरल चिकित्सालय में सोनोग्राफी मशीन लगाई गई थी, डॉक्टर सीएस आसेरी सोनोग्राफी करते भी रहे हैं लेकिन उनकी जोधपुर में पदोन्नति हो जाने के बाद से सोनोग्राफी उपकरणों पर मोटी रेत की परत जम चुकी है। एक्सरे मशीन है लेकिन रेडियोग्राफर नहीं है।
बीसियों बार विधायक व सांसद को इस बारे में लोगों ने उलाहने दिए लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। घटना-दुर्घटना या झगड़े फसाद के मामले को लेकर चिकित्सालय मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट एमएलसी लेना होता है लेकिन एक्स-रे और सोनोग्राफी के अभाव में पीडि़त को जोधपुर से एमएलसी चिकित्सकों की सेवा लेनी पड़ती है। इस पेचीदा प्रक्रिया के कारण आमजन को परेशान होना पड़ता है।
भवन विस्तार की कोई कमी नहीं

राज्य सरकार ने भवन विस्तार को लेकर कभी कंजूसी नहीं की और विशाल चिकित्सालय होने के बावजूद चिकित्सालय में भर्ती होने वाले रोगियों के परिजनों के लिए 50 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च कर बड़ी धर्मशाला का निर्माण किया। लेकिन जब चिकित्सालय में रोगी भर्ती ही नाम मात्र के होते हैं तो परिजनों में इस धर्मशाला के रुकने का काम ही नहीं पड़ता।

इनका कहना है

75 बेड का चिकित्सालय घोषित होने के बाद कितने पद बढऩे चाहिए। उन पदों की पूर्ति के अलावा शेष सुविधाओं के लिए भी राज्य सरकार को लिखित मे भेजा हुआ है।
-जितेन्द्र सिंह चारण, चिकित्सा प्रभारी, बिलाड़ा

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